भारत और अमेरिका ने मिलकर तैयाए की ये मिसाइल, देख चीन ने बढाई सेना…

यह साझेदारी केवल ट्रम्प प्रशासन तक ही सीमित नहीं रही। जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष थे, तब भी भारत और अमेरिका के बीच सैन्य सहायता काफी मजबूत थी।

सैन्य लॉजिस्टिक्स के आदान प्रदान को लेकर भारत ने 2016 में LEMOA समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे, जिससे दोनों देशों के बीच मिलिटरी लॉजिस्टिक्स का आदान प्रदान और अधिक सुगम होगा।

इन दोनों समझौतों के बाद ये तीसरा समझौता भारत को अमेरिका का सबसे उपयोगी और महत्वपूर्ण साझीदार के रूप में पहचान दिलाएगा। जो कि अब तक NATO के देशो तक ही सीमित था।

सच कहें तो ये BECA समझौता भारत और अमेरिका के बीच की रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत किए गए कई अहम रक्षा समझौतों का ही एक विस्तार है। इससे पहले वर्ष 2018 में अमेरिका और भारत के बीच इसी प्रकार की बैठक में COMCASA को प्रारम्भ करने पर सहमति जताई गयी थी।

यह दस वर्षों के लिए वैध है, और इसके अंतर्गत खुफिया कम्युनिकेशन के लिए काम में आने वाले अमेरिकी प्लैटफ़ार्म जैसे सी17, सी130 एवं पी81 के उपयोग की स्वतन्त्रता मिलेगी। COMCASA अमेरिका के Communication and Information on Security Memorandum of Agreement यानि CISMOA का ही भारत केन्द्रित वर्जन है।

इस रक्षा डील से भारत को क्या लाभ मिलेगा? BECA डील रणनीतिक तौर पर भारत की रक्षा नीति के लिए बेहद हितकारी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस डील पर हस्ताक्षर करने से भारत को अमेरिका के अत्याधुनिक Geospatial Maps की सुविधा प्राप्त होगी।

इस मैप से न केवल शत्रुओं के आक्रमण की नीति और बेहतर तरीके से समझ में आएगी, बल्कि इन मैप्स के बल पर भारत अपनी रक्षा के लिए क्रूज़ एवं बैलिस्टिक मिसाइल्स को सटीक तरह से फायर भी कर सकता है।

हाल ही में भारत ने यह स्पष्ट किया है की 2+2 Dialogue के अंतर्गत जब अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एसपर और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो जब भारत के दौरे पर आएंगे, तो वह प्रसिद्ध BECA डील, यानि Basic Exchange and Cooperation Agreement पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ मिलकर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

अपने रिश्तों को एक नया आयाम देते हुए भारत और अमेरिका ने BECA सैन्य डील पर हस्ताक्षर की ओर अपने कदम बढ़ाए हैं। BECA रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर करने से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहायता को न केवल बल मिलेगा अपितु अमेरिका, भारत के साथ हर स्थिति में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा। लेकिन इस सौदे से चीन को ज़बरदस्त जलन हुई है, और इसे जगजाहिर करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।