भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने, ​हो सकती है ये शुरुआत…

​ इसमें स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स की टीम को भी शामिल ​किया गया​।​ ​​​इस खास टीम को दो दिन के अन्दर ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, रेजांग ला, मगर हिल, रेचिंग ला, हेलमेट टॉप को अपने नियंत्रण में लेने ​​का टास्क दिया गया​​।​

 

​इन चोटियों को अपने नियंत्रण में ​लेते वक्त सै​​न्य टीमों ​​की सुरक्षा के लिए भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट​​ लगातार आसपास पेट्रोलिंग करते रहे​​​​। ​यह ​ऑपरेशन इतना गोपनीय रहा कि चीनियों को ​​हर चोटी पर तिरंगा फहरने के बाद ही भनक लग सकी​​।

​​इस ​ऑ​परेशन के दौरान भारतीय सेना ने सबसे पहले पैन्गोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी किनारों की​ ऊंची ​पहाड़ियों को अपने नियंत्रण में लिया​​।​ इसके साथ ही ​इन ​पर अपनी तैनाती बढ़ा दी जहां से चीन की गतिविधियों पर सीधी नजर रखी जा सके​​।​

भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिण में करीब 60-70 किलोमीटर तक का पूरा क्षेत्र अपने अधिकार में लेकर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को चौंका दिया है।​

इस रणनीति के तहत तय किया गया कि चीन ​पर ​पहले अप्रैल की पुरानी स्थिति में वापस ला​ने के लिए दबाव बनाया जाए​​। इसके लिए सैन्य वार्ताओं ​के कई दौर ​चले लेकिन जब स्थिति में बदलाव नहीं दिखा तो ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ को अंतिम रूप दिया गया​।​इस ऑपरेशन ​को अंजाम तक पहुंचाने की पहली शर्त यही थी कि इसकी चीनी सेना को जरा भी भनक न लग पाए​​​​।​​

इस बीच चीनी सेना ने जब 29/30 अगस्त की रात में पैन्गोंग झील के दक्षिणी इलाके की थाकुंग चोटी पर घुसपैठ की कोशिश की तो भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ दिया​​​।​ ​सेना को ​​‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ ​अंजाम देने का यही मौका सही लगा​।​​​ ​इसके बाद ​इस ​ऑ​परेशन ​को अंजाम देने ​के लिए ऐसी टीम तैयार की गई जिनके पास ऊंची पहाड़ियों पर तैनाती या युद्ध लड़ने का अनुभव है​​।

​​‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ के लिए अगस्त माह की शुरुआत से तैयारी की गई​।​ सबसे पहले उन रणनीतिक पहाड़ियों की पहचान की गई जिन्हें हासिल करना था जैसे कि ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, रेजांग ला, मगर हिल, रेचिंग ला, हेलमेट टॉप​​​​।​ ​

भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे​ की अगुवाई में नार्दन आर्मी कमांडर कर्नल वाईके जोशी, कोर कमांडर हरजिंदर सिंह, डिविजनल कमांडर और वास्तविक नियन्त्रण रेखा पर ​तैनात ​लोकल कमांडर, स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स की टीमों के साथ समन्वय करके इस ​ऑ​परेशन की रणनीति बनाई ​गई​​​।​

स्नो लेपर्ड का मतलब होता है बर्फीला तेंदुआ, जिसे दुर्गम स्थान और कठिन परिस्थिति में भी शिकार पर तेजी से अचूक निशाना साधने की महारथ हासिल है​।​ भारतीय सेना ने भी जिस तरह इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है, वह किसी बर्फीले तेंदुए जैसी हरकत से कम नहीं है​​​​​।​​

भारत और चीन की सेनाएं इस वक्त लद्दाख सीमा पर आमने-सामने हैं​ और पिछले करीब पांच महीने ​से ​तनाव की स्थिति है​​।​ शुरुआत में चीन ने कई बार घुसपैठ की कोशिश की लेकिन​ ​भारतीय सेना ​के ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’​ ​ने चीन की हर चाल को बेनकाब कर​के सीमा पर पासा पलट दिया है​​​​​​​।