उत्तर प्रदेश में एक साथ चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी और रालोद के सामने आई नई चुनौती , जानिए सबसे पहले

उत्तर प्रदेश में एक साथ चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। मथुरा की मांट सीट को लेकर दोनों दलों में पेंच फंस गया है।

गठबंधन समझौते के मुताबिक यह सीट सपा को मिली है। सपा ने प्रत्याशी का ऐलान भी कर दिया, लेकिन रालोद नेता ने नामांकन भी दाखिल कर दिया है। ना तो रालोद का प्रत्याशी पीछे हटने को तैयार है और ना ही सपा झुकने को राजी है। ऐसे में अब यह भी चर्चा है कि इस टकराव को खत्म करने के लिए खुद जयंत चौधरी इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

दरअसल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के सदस्य योगेश नौहवार ने अपनी पार्टी द्वारा बी-फॉर्म दिए जाने के बाद मथुरा की मांट सीट से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सोमवार को रालोद-सपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया था, बाद में सपा ने पार्टी के संजय लाठेर को टिकट दिया।

गठबंधन में रार को देखकर रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मांट से रालोद के उम्मीदवार योगेश नौहवार को दिल्ली बुलाया और मांट से अपना नामांकन वापस करने की बात कही। टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नौहवार ने कहा, ‘मैं अपना नामांकन वापस नहीं लूंगा और अगर पार्टी को मेरी उम्मीदवारी से कोई समस्या है तो वे मेरा चुनाव चिन्ह वापस ले सकते हैं।’ इससे पहले योगेश नौहवार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा कि जो राष्ट्रीय नेतृत्व का आदेश होगा वह उसे मानेंगे और मांट विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ेंगे।

बता दें कि नौहवार इस क्षेत्र के एक प्रभावशाली नेता हैं और उन्होंने किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया। सपा जिलाध्यक्ष लोकमणिकांत जादोन ने कहा कि सीटें पहले से तय थीं। दो सपा को और तीन रालोद को आवंटित किए जाने थे। उन्होंने कहा, ‘भ्रम केवल रालोद नेताओं ने ही बनाया है।’

मांट सीट से श्याम सुंदर शर्मा लगातार आठ बार जीत चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट से जीत हासिल की थी। वह इस निर्वाचन क्षेत्र से 1989 से विभिन्न दलों से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, वह 2012 में रालोद प्रमुख चौधरी के खिलाफ हार गए, लेकिन बाद के उप-चुनावों में जीत हासिल की क्योंकि बाद में उनकी सीट खाली हो गई।