तनाव के बीच चीन ने दिया ये बड़ा संकेत, रात साढ़े नौ बजे…, पहुच रही सेना और…

रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है, वहीं भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए.’

 

पीछे हटने और तनाव कम करने पर सैन्य और राजनयिक वार्ता जुलाई के मध्य से आगे नहीं बढ़ पाई है और रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक के बाद के बयान लद्दाख में संकट के समाधान की दिशा में आगे बढ़ने में किसी भी महत्वपूर्ण प्रगति को हीं दिखाते हैं, जहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.

उन्होंने पिछले कुछ महीनों में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में गलवान घाटी सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ हुए घटनाक्रमों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने चीन को बताया कि चीनी सैनिकों की कार्रवाई, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करना, उनके आक्रामक व्यवहार और यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने का प्रयास द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन था और दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझ को ध्यान में रखते हुए नहीं था.’ हालांकि, चीन के रक्षा मंत्रालय के एक बयान में फेंगही ने सिंह से कहा कि तनाव की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारत पर है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सीमा गतिरोध पर पूर्व में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बात की थी. सिंह और वेई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं.

एससीओ की बैठक शुक्रवार में आयोजित हुई थी. भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि चीनी रक्षा मंत्री के अनुरोध पर यह बैठक आयोजित की गई है.

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को मास्को में अपने चीनी समकक्ष वेई फेंगही से वार्ता की .रूस की राजधानी मास्को में एक प्रमुख होटल में रात साढ़े नौ बजे (भारतीय समयानुसार) वार्ता शुरू हुई.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा भी हैं. मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा पर विवाद बढ़ने के बाद दोनों पक्षों के बीच शीर्ष स्तर की आमने-सामने की यह पहली मुलाकात है.