इसकी वजह से राष्ट्रपति के एक करीबी ने यह भी बयान दिया कि उन्हें काम पर जाने में डर लग रहा है। कोरोना वायरस टास्क फोर्स के सदस्य, जिसमें सीडीसी और एफडीए के हेड (ये टॉप एजेंसियां इस महामारी की रोकथाम में लगी हुई हैं) शामिल हैं।
उन्हें खुद को क्वारंटीन में रखना पड़ा है। वे एक ऐसे शख्स के संपर्क में आए थे, जिसमें इस महामारी के लक्षण तो नहीं थे लेकिन वह कोरोना पॉजिटिव था।
गौरतलब है कि इसी तरह से दो टॉप मिलिटरी जनरल भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। सेनेट हेल्थ कमिटी का भी एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव था।
इसकी वजह से कमिटी को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करनी पड़ी। इन सब खतरों के बावजूद शीर्ष नेतृत्व इस बात का दबाव बना रहा है कि जल्द से जल्द बिजनस को खोल दिया जाए ताकि इकॉनमी को पुनर्जीवित किया जा सके।
अमेरिका में कोरोना के मामलों को देखा जाए तो यहां रविवार तक इस महामारी से 80 हजार लोग मारे जा चुके हैं। ऐसे में दुनिया में मरने वाले लोगों में हर तीसरा व्यक्ति अमेरिका का है। हालांकि, रविवार को प्रतिदिन मौतों की संख्या में कमी देखी गई है यह 803 हो गया।
एक अप्रैल के बाद यह दूसरा मौका है जब आंकड़ा 1000 से नीचे चला गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका लॉकडाउन खोलने के खतरे को उठाता है तो अगस्त तक मृतकों की संख्या बढ़कर 1 लाख 35 हजार तक पहुंच सकती है।
कोरोना वायरस का सबसे ज़्यादा कहर अमेरिका में ही देखने को मिला है. आपको बता दें कि ऐसे में अमेरिका का राष्ट्रपति भवन वाइट हाउस (White House) इन दिनों कोरोना वायरस (coronavirus in America) का हॉटजोन बना हुआ है। यहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति माइक पेंस के करीबी कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।