चीन ने लद्दाख के कई स्थानों पर किया ये, सेना तैनात कर बढ़ाने लगा…

इसलिए कारगिल प्रयत्न व लद्दाख के निकट वर्तमान चीनी घुसपैठ के अनुभवों के बीच पहली समानता यह है कि हमारा खुफिया तंत्र एक बार फिर विफल हो गया है.

 

चाहे वे गड़ेरिये हों या उपग्रह, जिस पर सरकार द्वारा वित्त पोषित खुफिया तंत्र निर्भर करते हैं, या तो वे हमें विफल कर रहे हैं या खुफिया जानकारियों को इकट्ठा करने के लिए जिम्मेदार लोग इसकी अनदेखी कर रहे हैं. किसी भी तरह से हमारे सैनिकों को नतीजतन जान गंवानी पड़ी.

जहां पारंपरिक रूप से सेना की तैनाती नहीं होती है (जैसे कि हर पहाड़ी व घाटी में सैनिकों की मौजूदगी नहीं होती) व अब भी अधिकतर जगहों पर वह अपनी पकड़ बनाए हुए है.

एलएसी के पास चाइना की चालों के प्रति सतर्कता हमारे लिए अत्यधिक जरूरी है. कोविड-19 के विरूद्ध सरकारी निर्देशों का पालन करने के अति उत्साह में सेना ने एलएसी पर अपनी वार्षिक तैनाती घटा दी थी.

चाइना ने इस भारतीय चूक का प्रयोग एलएसी पर भारतीय स्थिति के उल्टा भारी संख्या में बलों का स्तर बढ़ाने के लिए किया, व सबसे बुरी बात यह कि वह उन क्षेत्रों में घुसपैठ कर रहा है.

जब हम असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार चीनी घुसपैठ की परिस्थितियों पर नजर डालते हैं, तो कारगिल सेक्टर में पाक द्वारा की गई घुसपैठ से कुछ अलौकिक समानताएं दिखती हैं. चाइना ने लद्दाख के पूर्व में एलएसी के सटे कई स्थानों पर घुसपैठ की है.