पाकिस्तान में आई ये बड़ी आफत , इमरान खान की अटकी सांस

पाकिस्तान को अब भी एफएटीएफ द्वारा निर्धारित 27 मापदंडों में से 13 पर खरा उतरना है। पाकिस्तान आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए दिए गए 27 मापदंडों में से छह को पूरा करने में अबतक विफल रहा था।

वह आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाने और मुकदमा चलाने में भी चुस्ती नहीं दिखा रहा था। एफएटीएफ ने यह माना कि पाकिस्तान को अभी भी आतंकी फंडिंग की जांच करने की जरूरत है।

आपको बता दें कि एफएटीएफ में वर्तमान में 39 पूर्ण सदस्य हैं। पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में आने से बचने के लिए कम से तीन वोट चाहिए, जबकि ग्रे लिस्ट से बाहर होने से बचने के लिए उसे लगभग 15 वोट चाहिए।

पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अपने मित्र देशों चीन, तुर्की और मलेशिया के तीन वोट तो मिल जाएंगे, मगर इसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि उसे एफएटीएफ के 39 सदस्यों में से 12 से भी अनुमोदन की जरूरत होगी, जिसे हासिल करने में फिलहाल वह सक्षम नजर नहीं आ रहा है।

पाकिस्तान के डर है कि इस बैठक में कहीं उसे ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में न डाल दिया जाए। हालांकि ब्लैक लिस्ट में आने से बचने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी लगातार हाथ पैर मार रहे हैं। पाक अधिकारियों का मानना है कि कम से कम जून तक पाकिस्तान ग्रे सूची में बना रहेगा।

इन दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सांस अटकी हुई है। एक तरह जहां पाकिस्तान में लगातार उन्हें सत्ता से बेदखल करने की मांग तेज होती जा रही है।

वहीं उन्हें इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं विश्व समुदाय उनका हुक्का पानी न बंद कर दे। दरअसल आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बन चुके पाकिस्तान की पोल दुनियाभर के सामने खुल चुकी है।

अब पाकिस्तान ज्यादा दिनों को दुनिया के आंखों में धुल नहीं झोंक पाएगा। इन सबके बीच फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 22 फरवरी से बैठक शुरू होने जा रही है। इस साल बैठक वर्चुअल तरीके से आयोजित की जाएगी। चार दिवसीय बैठक यह तय करेगी कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखना है या नहीं।