चीन के साथ मिलकर नेपाल करने जा रहा ये काम , जानकर लोग हुए हैरान

चीन की नीति छोटे-छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की रही है और पाकिस्तान और चीन पहले ही चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसे हुए हैं। कई अफ्रीकी देश और कुछ यूरोपीयन देश भी चीन के झांसे में आकर चीन से इतना कर्ज ले चुके हैं।

 

जिसे अब वो चुकाने की हैसियत में नहीं हैं, ऐसे में नेपाल जानबूझकर उस बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहता है, जो कभी पूरा होने वाला नहीं है और जिसके जरिए नेपाल हमेशा के लिए चीन का बंधक बन सकता है।

नेपाली अखबार ‘द काठमांडू टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल और चीन ने बीआरआई प्रोजेक्ट के ड्राफ्ट को अमलीजामा पहुंचाने के लिए फिर से बातचीत शुरू कर दी है।

चार साल पहले जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल आए थे, उस वक्त दोनों देशों के बीच बीआरआई प्रोजेक्ट पर फ्रेमवर्क पर करार हुआ था। लेकिन बाद में बातचीत बंद हो गई थी। और अब नेपाली मीडिया ने खबर दी है कि देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेपाल और चीन के बीच बातचीत फिर शुरू हो गई है।

उम्मीद जताई जा रही थी कि शेर बहादुर देउबा के नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद वो भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश करेंगे, लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे शेर बहादुर देउबा भी पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के रास्ते पर ही बढ़ चले हैं।

रिपोर्ट है कि देउबा सरकार ने चीन के महत्वाकांक्षी बीआरआई प्रोजेक्ट पर बातचीत फिर से शुरू कर दी है। नेपाली मीडिया के मुताबिक, देउबा सरकार ने चीन के साथ करार करने के लिए आखिरी कदम बढ़ा दिआ है, जो कदम उठाने से नेपाल की पूर्ववर्ती सरकारें चिंता जता रही थीं।

पिछले कुछ सालों में भारत का पड़ोसी देश नेपाल चीन के प्रभाव में बुरी तरह जकड़ता जा रहा है और चीन भी नेपाल को कर्ज के जाल में फंसाकर उसका हाल श्रीलंका और पाकिस्तान जैसा करना चाहता है।

नेपाली मीडिया के मुताबिक, नेपाल के नये प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा एक बार फिर से नेपाल के साथ उस प्रोजेक्ट को अगले चरण में ले जा रहे हैं, जो नेपाल के लिए गले की हड्डी बन सकती है। काठमांडू टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल और चीन के बीच बीआरआई प्रोजेक्ट पर बातचीत फिर शुरू हो गई है।