कोरोना वैक्सीन का हुआ ट्रायल, सबसे पहले इस देश के मरीजों को दिया गया इंजेक्शन

रेजेनरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने कहा कि इसके काम न करने पर एक अन्य एंटीबॉडी उपचार उपलब्ध हो सकता है। जानकारी के अनुसार दवा जून में पहली बार मनुष्यों में अध्ययन के लिए उपलब्ध होगी।

 

गिलियड साइंसेज इंक दुनिया भर में उपयोग के लिए अपने वायरस उपचार के विनिर्माण का विस्तार करने के लिए काम कर रहा है।

फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अल्बर्ट बोरला ने एक बयान में कहा, “चार महीने से भी कम समय में हम प्रीक्लिनिकल स्टडीज से मानवों पर परीक्षण कर सकेंगे।

इधर, भारत में 30 से अधिक वैक्सीन विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इनमें कुछ ट्रायल के लिए तैयार हैं। यह जानकारी विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी।

बता दें कि पीएम मोदी ने कोरोना वायरस टीका विकास पर मंगलवार को एक कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस का टीका विकसित करने, औषधि खोज, रोग-निदान और परीक्षण में भारत के प्रयासों की मौजूदा स्थिति की मंगलवार को समीक्षा की।

कोरोना वायरस के संकट से जूझ कई देशों के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने के प्रयास में जुटे हैं । इस बीच कई अमेरिकी कंपनियां कोविड -19 के खिलाफ टीके विकसित करने में जुटी हैं।

इस वायरस ने 3.5 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित किया है और दुनिया भर में 257,207 लोगों की मौत हुई है। अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज फाइजर इंक ने कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है और सबसे पहले इसको अमेरिकी रोगियों पर ट्राई किया है ।