उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण कम होने के बावजूद पड़ रही उद्योग पर मार,कच्चे माल की आसमान छूती कीमतों ने बढाई उद्योगों की मुश्किल

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण कम होने के बावजूद औद्योगिक उत्पादन की स्थिति में सुधार नहीं आया है। छह हजार के करीब बड़ी और मध्यम स्तर की औद्योगिक इकाइयां साठ से सत्तर फीसदी तक ही उत्पादन कर पा रही हैं।

तीसरी लहर का प्रभाव कम होने से कारोबार पटरी पर आने की उम्मीद थी, लेकिन बाजार में मांग न होने और कच्चे माल की आसमान छूती कीमतों ने उद्योगों की मुश्किल बढ़ाई हुई हैं। रोजगार के नए अवसर भी उद्योगों में अभी नहीं बन पा रहे हैं। उत्पादन और कारोबार में कमी तक यह स्थिति बनी रह सकती है।

कोरोना वायरस की तीसरी लहर का असर लगभग समाप्त होने के बावजूद हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्रों में उद्योगों का कारोबार पूरी तरह पटरी पर नहीं आ पाया है। पिछले तीन महीनों से औद्योगिक इकाइयों में हालात एक जैसे ही हैं और उत्पादन अभी पचास फीसदी ही हो पा रहा है।

कारोबारियों का कहना है कि कच्चे माल के दामों में भारी इजाफा हो गया है। जबकि बाजार में मांग कम है। ऐसे में उत्पादन व कारोबार नहीं बढ़ पा रहा है। बहादराबाद इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष साधूराम सैनी ने बताया कि कच्चे माल के दाम दोगुना होने के बाद मध्यम वर्ग इंडस्ट्री में करीब पचास प्रतिशत ही काम हो पा रहा है।

रुड़की और भगवानपुर की औद्योगिक इकाइयों में चार महीनों से औसत उत्पादन सत्तर फीसदी के आसपास ठहरा हुआ है। कोरोना संक्रमण कम होने के बावजूद इसमें बहुत अधिक सुधार नहीं हो पाया है। भगवानपुर इंडस्ट्री एसोसिएशन के सचिव गौतम कपूर ने बताया कि पहले की ही तरह उत्पादन है। औद्योगिक इकाइयां दो शिफ्टों में काम कर रही हैं। लेकिन अभी मांग कम होने के बावजूद पूरी तरह उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।

कोरोना के मामले कम होने के बावजूद पंतनगर सिडकुल में उत्पादन पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। सिडकुल पंतनगर में औसतन 60 फीसदी ही उत्पादन हो रहा है। इसकी वजह डिमांड में कमी है। पिछले तीन महीने में पहले भी सिडकुल में यही स्थिति थी। सिडकुल पंतनगर में करीब 70 फीसदी कंपनियां ऑटोमोबाइल सेक्टर और 20 फीसदी कंपनियां एफएमसीसी से जुड़ी हुई हैं।

सिडकुल में करीब चार सौ के आसपास उद्योग हैं। पहली लहर के दौरान यहां फूड इंडस्ट्री और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर विपरीत असर नहीं पड़ा था। इस दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री बढ़ी जिससे यहां उत्पादन बढ़ गया।

तीसरी लहर की डर से सेलाकुईं औद्योगिक क्षेत्र में कारोबार पचास फीसदी तक रह गया था। लेकिन दो महीनों में संक्रमण में आई कमी के बाद कारोबार में फिर इजाफा होना शुरू हो गया है। उत्तराखंड इंडस्ट्रीयल वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव महेश शर्मा ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर की डर से दिसंबर जनवरी माह में उद्योगों ने उत्पादन कम कर दिया था।

करीब पचास फीसदी ही उत्पादन किया जा रहा था। लेकिन कोरोना का प्रकोप कम होने और लॉकडाउन जैसे स्थिति न आने की वजह से अब उत्पादन फिर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सेलाकुईं सिडकुल क्षेत्र में अब अस्सी फीसदी तक कारोबार हो रहा है।