भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक में चीन को दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना अपने सीमा की सुरक्षा करने में सक्षम है, कोई भी हमारी एक इंच धरती की तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकता।
इस मुद्दे पर भारत को अपने कई मित्र देशों का समर्थन भी मिला है, जबकि कोरोना वायरस को लेकर पहले ही आरोपों का सामना कर रहे चीन को अब भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर निंदा का भी सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने चीन पर तीखा हमला बोलते हुए चीन को बदमाश तत्व कहा था। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उन सभी प्रक्रियाओं को खत्म कर देना चाहती है जिसके तहत एक आजाद दुनिया में नाटो जैसी संस्था का निर्माण हो सके। पार्टी ऐसे नए नियमों को अपनाना चाहती है जिसके तहत चीन को समाहित किया जा सके।
साथ ही ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका और चीन दोनों से बात कर रहा है। मौजूदा हालात काफी मुश्किल हैं, हम भारत स बात कर रहे हैं, हम चीन से भी बात कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वहां बड़ी दिक्कत हुई है, उन्हें काफी नुकसान पहुंचा है और हम देखेंगे कि क्या होता है, हम उनकी मदद करने की कोशिश करेंगे।
भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस पूरे मसले पर बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि एशिया के पड़ोसी बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं और अमेरिका इसमे उनकी मदद करने की कोशिश करेगा।
पीएलए ने भारत के साथ सीमा विवाद को बढ़ा दिया है जो दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला लोकतंत्र है। वह साउथ चाइना सी का भी सैन्यीकरण करने में लगा है और गैर-कानूनी तरीकों से इसके और ज्यादा क्षेत्रों पर दावा जता रहा है.
जिसने इसके अहम इलाकों को संवेदनशील बना दिया है। पोंपेयो ने इससे पहले पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए टकराव में शहीद हुए 20 सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी।