सरकार का बड़ा फैसला, ये काम करने पर ही सरकारी कर्मचारी को मिलेगी सैलरी

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पहले ही कह चुके हैं कि “बिजली चोरी और बिलों का भुगतान नहीं किए जाने से हर महीने राज्य के पावर सेक्टर को 300 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है.

सरकार अब राजस्व का बकाया वसूलने और अवैध बिजली खपत को रोकने के लिए कदम उठाने जा रही है.” मुख्यमंत्री ने APDCL को डिफॉल्टर उपभोक्ताओं का ब्यौरा तैयार करने के लिए भी कहा है.

हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “कुछ चालबाज उपभोक्ताओं ने बिजली का बिल बचाने के लिए संदिग्ध तरीके अपना रखे हैं जिससे APDCL को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. इस नुकसान को पूरा करने के लिए और बिजली खरीदने के लिए APDCL को असम इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन को बिजली की दरें बढ़ाने के लिए कहने को मजबूर होना पड़ा है. आम जनता को इन बढ़ी दरों का बोझ उठाना पड़ेगा, ये स्थिति डिफॉल्टर उपभोक्ताओं की ओर से राजस्व को पहुंचाए जाने वाले नुकसान का ही नतीजा है.”

ये देखा जाए कि 30 जून या उससे पहले सैलरी/भत्तों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू करते वक्त कर्मचारी ऐसा सर्टिफिकेट जमा करा दें जिसमें लिखा हो कि ‘APDCL का कोई बकाया बाकी नहीं है.’

बता दें कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 6 जून को इस आशय का निर्देश दिया था. उसी के बाद APDCL के मैनेजेंग डायरेक्टर ने उपरोक्त चिट्ठी लिखी.

चिट्ठी में लिखा गया है कि “APDCL सिस्टम की ओर से दी गई मौजूदा बिल की भुगतान रसीद ही भुगतान के सबूत के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती है.”

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के निर्देश पर असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सभी सरकारी विभागों के कमिश्नर और सचिवों को इस बारे में चिट्ठी भेजी है. चिट्ठी में सभी से आग्रह किया गया है कि वे अपने अधीन सभी ड्राइंग और डिस्बर्सिंग ऑफिसर्स को ये सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दें.

असम में अब किसी सरकारी कर्मचारी ने बिजली का बिल नहीं भरा तो उसे सैलरी नहीं मिलेगी. हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने राज्य में ये नई नीति लागू की है. ये नियम राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगी और सैलरी पाने के लिए वक्त से अपने बिजली बिलों का भुगतान करना होगा.