चीन से दोस्‍ती बढ़ा रहा ये देश, देख अमेरिका भी हुआ हैरान…

दोनों देशों के बीच चीन और गैस भी अहम भूमिका निभाने वाले हैं. गौरतलब है कि 2008-2019 के बीच अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन 160 प्रतिशत बढ़ गया और गैस का 70 प्रतिशत बढ़ा है.

अमेरिका अब एनर्जी पावरहाउस बन गया है और सऊदी अरब से ज्यादा तेल और रूस से ज्यादा गैस का उत्पादन कर रहा है. उनका कहना है कि रूस को निवेश मिलेगा और चीन को गैस. रूस चीन को तेल और गैस के मार्केट के तौर पर देख रहा है.

दरअसल रूस आधुनिकीकरण और सैन्य विस्तार पर पैसे खर्च कर रहा है क्योंकि आर्कटिक का मुद्दा गर्माने लगा है. यहां और ज्यादा दोहन के मौके भी खुल रहे हैं.

रूस जो कर रहा है उसके बहुत से कारण हैं और रूस-चीन के संबंध को ‘सुविधा के लिए की गई शादी’ कहा जा सकता है. दोनों में कोई प्यार नहीं है लेकिन साझा हितों की वजह से वे साथ हैं. रूस चीन के साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग की बात को खारिज नहीं करता है.

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि, नतीजा जब भी आए, रूस ने पहले ही अमेरिका को छोड़ चीन से दोस्ती गहरी करना शुरू कर दिया है.

मामले में विदेशी जानकारों का कहना है कि रूस ने जब 2013 में क्रीमिया का अधिग्रहण किया, अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाकर आर्थिक रूप से रुस को कमजोर करने की कोशिश की, खासकर ऊर्जा के सेक्टर में. रूस और चीन के बीच बहुत अच्छे संबंध नहीं हैं लेकिन उनके कुछ साझा हित हैं. रूस को चीनी निवेश की जरूरत है ताकि वह आर्कटिक में तेल और गैस का खनन कर सके.