विधायकों के धरने का आज चौथा दिन, राजभवन के बजाय विधानसभा में शपथ दिलाने की मांग

बंगाल:  पश्चिम बंगाल के दो नवनिर्वाचित विधायकों ने मंगलवार को भी विधानसभा परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। विधायकों की मांग है कि उन्हें राजभवन के बजाय विधानसभा में शपथ दिलाई जाए। बारानगर से विधायक सयांतिका बंदोपाध्याय और भागबंगोला के विधायक रैयत हुसैन सरकार ने लोकसभा चुनाव के साथ हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। हालांकि अभी तक दोनों विधायकों का शपथ ग्रहण नहीं हुआ है। दोनों विधायकों ने राजभवन में शपथ लेने से इनकार कर दिया है।

विधायकों के धरने का चौथा दिन
विधायकों के धरने को मंगलवार को चौथा दिन है। इससे पहले विधायकों ने 27, 28 जून और एक जुलाई को भी विधानसभा परिसर में धरना दिया था। गौरतलब है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बीते बुधवार को दोनों विधायकों को राजभवन आमंत्रित किया था ताकि दोनों को शपथ दिलाई जा सके। हालांकि विधायकों ने आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। दरअसल राज्यपाल पर यौन दुराचार के आरोपों के चलते नवनिर्वाचित विधायकों ने राजभवन जाकर शपथ ग्रहण करने से इनकार कर दिया। उनकी मांग है कि राज्यपाल विधानसभा में किसी को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी दें। इससे गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई है।

राज्यपाल ने अभी तक विधानसभा में किसी को भी नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। स्पीकर बिमान बनर्जी ने राज्यपाल पर इस मुद्दे को बेवजह तूल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस गतिरोध को समाप्त करने की अपील की है। वहीं राज्यपाल का कहना है कि यह उनका अधिकार क्षेत्र है कि किसी को शपथ के लिए अधिकृत करना है या नहीं।

क्या कहता है कानून
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विधायकों के पास संविधान के प्रावधानों के अनुसार शपथ लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 188 और अनुच्छेद 193 राज्यपाल को इस तरह का अधिकार देते हैं। अनुच्छेद 188 में कहा गया है कि राज्य की विधानसभा या विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य को राज्यपाल या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेगा।

‘यदि कोई विधायक अनुच्छेद 188 के तहत शपथ लेने से पहले विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होता है तो अनुच्छेद 193 के तहत उसके लिए दंड का प्रावधान भी किया गया है। साथ ही शपथ से पहले विधायक विधानसभा में मतदान करता है, तो वह प्रत्येक दिन के लिए, जिस दिन वह बैठता है या मतदान करता है, पांच सौ रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा, जिसे राज्य को देय ऋण के रूप में वसूला जाएगा।’