भारत में 15 साल में 100 अरब डॉलर निवेश करेंगे चार यूरोपीय देश, 10 लाख रोजगार की बनेंगी संभावनाएं

चार यूरोपीय देशों का समूह यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) भारत में अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसके लिए भारत और ईएफटीए ने रविवार को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए। समझौते से निवेश के साथ वस्तुओं व सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, देश में 10 लाख रोजगार भी पैदा होंगे।

भारत-ईएफटीए में आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) पर 16 वर्षों के बाद सहमति बनी है। इसकी शुरुआत जनवरी, 2008 में हुई थी। समझौते में बौद्धिक संपदा अधिकार, माल-सेवा व्यापार, निवेश प्रोत्साहन, सरकारी खरीद समेत 14 अध्याय शामिल हैं। एफटीए इतिहास में पहली बार लक्ष्य आधारित निवेश व रोजगार बढ़ाने देने के लिए कानूनी प्रतिबद्धता जताई जा रही है। समझौते को मंजूरी की विस्तृत प्रक्रिया के कारण इसे लागू होने में एक साल का समय लगेगा। ईएफटीए के सदस्य देशों में नॉर्वे, आइसलैंड, लीशटेंस्टीन और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।

भारत को लाभ

  • सभी घरेलू औद्योगिक उत्पादों को ईएफटीए देशों में शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी। प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर भी शुल्क छूट। अधिक निवेश मिलेगा।
  • टीईपीए भारतीय निर्यातकों के लिए अनुकूल व्यापार माहौल बनाएगा। देसी वस्तुओं का निर्यात बढ़ेगा। सेवा क्षेत्र को भी अधिक बाजार मिलेंगे।
  • स्विट्जरलैंड के जरिये यूरोपीय संघ के बाजारों पहुंच बढ़ेगी। इन्फ्रा, विनिर्माण, मशीनरी, फार्मा जैसे क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण बढ़ेगा।

इन्हें छूट नहीं

डेयरी, कोयला, सोया और संवेदनशील कृषि उत्पाद शुल्क छूट के दायरे से बाहर रहेंगे।

समझौता साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक, खुलेंगे नए दरवाजे

समझौता मुक्त, निष्पक्ष व समानता वाले कारोबार के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। डिजिटल व्यापार, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं व फार्मा जैसे क्षेत्रों में नवाचार को लेकर ईएफटीए देशों की वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति से सहयोग के नए दरवाजे खुलेंगे। -नरेंद्र मोदी, पीएम

वृद्धि के लिए प्रमुख बाजार पर मिलेगी पहुंच : ईएफटीए सदस्य
ईएफटीए सदस्यों की ओर से संघीय काउंसलर गाई पार्मेलिन ने कहा, ईएफटीए देशों को वृद्धि के एक प्रमुख बाजार तक पहुंच मिली है। हमारी कंपनियां अपनी आपूर्ति शृंखलाओं को अधिक जुझारू बनाते हुए उनमें विविधता लाने का प्रयास करेंगी। कुल मिलाकर टीईपीए से हमें अपनी आर्थिक क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने के साथ भारत और ईएफटीए दोनों के लिए अतिरिक्त अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।