चीन से सीमा विवाद को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया ये बड़ा बयान , कहा सेना को…

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन से सीमा विवाद को लेकर रविवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की सैन्य आक्रामकता का उसी अंदाज में जवाब दिया जाएगा। धारवाड़ में एक सेशन के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘देश को चीन से अलग करने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत का रुख अडिग रहने वाला है।

चीन के साथ हमारा गंभीर विवाद है। 2020 के बाद से ही सीमा पर तनाव बना हुआ है। चीन के साथ हमारा संबंध सामान्य नहीं है। अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैन्य बल तैनात हैं तो फिर यह सामान्य हो भी नहीं सकता है।’

एस जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसा देश नहीं है जो अपने राष्ट्रीय ध्वज को अपमानजनक तरीके से नीचे उतारा जाना बर्दाश्त कर ले, क्योंकि यह देश बहुत दृढ़ होने के साथ-साथ बहुत जिम्मेदार भी है। उन्होंने लंदन में पिछले महीने हुई उस घटना का जिक्र किया, जिसमें प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने भारतीय उच्चायोग के ऊपर फहराए गए तिरंगे को गिरा दिया था। इसके बाद वहां अलगाववादी खालिस्तानी झंडे लहराए और खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद खालिस्तानियों और अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए उच्चायोग की इमारत पर उससे बड़ा तिरंगा लगाया गया।

विदेश मंत्री से इस दौरान सीमा सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर और सवाल पूछे गए। इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘हमारे कई पड़ोसी हैं, जिनमें से ज्यादातर के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। उनमें से दो के साथ हमें समस्या है। मुझे ऐसा लगता है कि हमें इसे स्वीकार करने और इस पर बात करने में संकोच नहीं करना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि पहला पाकिस्तान है, जहां समस्याएं साफ हैं। यह भी फैक्ट है कि हमें जितना सहिष्णु होना चाहिए था, उससे कहीं अधिक सहनशील रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें दृढ़ रहना होगा और उन्हें बेनकाब करना करने की जरूरत है। हमें आतंकवाद को गैरकानूनी बताना होगा।

एस जयशंकर ने कहा कि 2020 में आपने देखा कि जब कोरोना चल रहा था, तब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय सेना और वायु सेना को बड़ी संख्या में बॉर्डर पर भेजने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘सीमाओं को सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समझौतों का उल्लंघन करके सेना को लाने वाले पड़ोसी को यही एकमात्र जवाब है… आर्मी को विरोध में तैनात कर दिया जाए। हमारे सैनिकों को चीन की सीमा पर इस तरह से तैनात किया गया कि उनकी अच्छी देखभाल हो सके। साथ ही उनके पास चुनौतियों से निपटने के लिए हमेशा सही उपकरण उपलब्ध हों।’