सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने कोरोना मरीजों की खातिर किया ये, जानकर चौक उठे लोग

प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि प्रवासी कामगारों पर उनके घरों को वापस लौटने का दवाब बन रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका लक्ष्य धरना स्थलों पर संख्या बढ़ाना नहीं है, बल्कि यह बताना है कि “ढीठ और असंवेदनशील सरकार” विफल हुई है।

संयुक्त किसान मोर्चा के दर्शन पाल ने कहा,”जो किसान गेहूं की कटाई के लिए गए थे वे अब उत्साहित होकर हजारों की संख्या में वापस आ रहे हैं और किसानों के आंदोलन को प्रवासी श्रमिकों की आवश्यकता नहीं है। प्रवासी श्रमिकों को बुलावा इसलिए है क्योंकि किसान इन श्रमिकों के संकट को समझते हैं। ”

किसान संगठनों के नेताओं की ओर से गुरुवार को एक प्रेस नोट भी जारी किया गया। जिसमें प्रदर्शनकारियों ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में हर संभव मदद करने का वादा किया। उन्होंने कहा, “आम नागरिकों को कम से कम दिक्‍कतें हों, हम ऐसा चाहते हैं।’

संयुक्त किसान मोर्चा ने इसके अलावा भाजपा के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि प्रदर्शनकारी दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा डाल रहे हैं। किसानों ने कहा कि, सड़कों पर बैरिकेडिंग करने और राजमार्ग पर बाधा डालने के लिए सरकार दोषी है, जबकि वे पहले ही यातायात की आवाजाही के लिए ऐसे मार्ग छोड़ चुके हैं।

नवंबर 2020 से सिंघु बॉर्डर समेत कई जगहों पर जमे बैठे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) किसान आंदोलन शुरू करने वाली किसान यूनियनों में से एक है। प्रदर्शनकारी उसके पदाधिकारियों की गुरुवार शाम हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी।

जहां सिंघु बॉर्डर पर राजमार्ग के एक तरफ बैरिकेड हटाने का निर्णय लिया गया, ताकि ऑक्सीजन वाले टैंकर, एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाएं चालू रह सकें।

कृषि कानून रद्द कराने की मांग करते किसान प्रदर्शनकारियों ने धरना-प्रदर्शन खत्‍म करने से इनकार किया है, हालांकि दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर राजमार्ग के एक तरफ का रास्‍ता क्लियर करने को राजी हो गए।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि, वे राजमार्ग के एक तरफ का रास्‍ता कोरोना मरीजों की खातिर साफ कर रहे हैं। अब राजमार्ग के एक तरफ के रूट पर लगे बेरिकेड्स को आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस को रास्‍ता देने के लिए हटा दिया जाएगा।