मोदी सरकार के खिलाफ किसानों ने किया ये, बॉर्डर पर बनाए पक्के मकान

सर्दियों के दौरान एक ट्रॉली पर 8-10 आंदोलनकारी सो रहे थे। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, किसानों के लिए ट्रॉली में रहना आसान नहीं रो रहा है इसलिए गर्मी से बचाव के लिए टिकरी बॉर्डर पर पंखे, कूलर की व्यवस्था की गई है.

बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर भी कुछ ऐसे ही पक्के माकन के निर्माण का कार्य जारी है. प्रदर्शनकारियों की संख्या में कमी के बावजूद सीमाओं पर लगातार हो रहे निर्माण के बारे में किसानों का कहना है कि तैयारी इसलिए है, ताकि आंदोलन लंबा चलने पर दिक्कत न हो. किसानों ने राशन का इंतजाम भी पहले ही कर लिया है.

आंदोलनकारियों ने भीषण गर्मी को मद्देनजर रखते हुए किसान सोशल आर्मी ने पक्के माकन बनाना शुरू कर दिया है. अनिल मालिक के अनुसार फिलहाल 25 पक्के निर्माण किए जा चुके हैं. टीकरी बॉर्डर पर दरवाजों के लिए चौखट लग चुकी है. जगह-जगह ईंटे जमाई जा रही हैं. कहीं मिट्टी से मकान बन रहे हैं और सीमेंट का घोल ऊपर से लगेगा तो कहीं ईंटों को सीमेंट से जोड़ा जा रहा है.

जल्द ही मकानों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है. सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया ना मिलने पर आंदोलनकारियों की संख्या में कुछ कमी आई है.

आंदोलनकारी खुद को गर्मियों से बचाने के लिए टीकरी बॉर्डर पर सीमेंट की दीवारों पर शेड लगवा रहे हैं, ताकि किसी तरह की परेशानी न आए. एक मकान को बनाने का खर्च 20 से 30 हज़ार रुपये बताया जा रहा है.

कृषि कानूनों (Farm laws) के खिलाफ 107 दिनों से चलता किसान आंदोलन अब लंबा खिंचता देख किसानों ने अब टीकरी बॉर्डर पर पक्के मकान बनाए. कई जगहों पर ईंट और सीमेंट का इस्तेमाल हो रहा है.

तो कहीं मिट्टी से ईंट की जोड़ाई की जा रही है. 107 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लगा जारी है. किसान सामाजिक सेना के सदस्य अनिल मलिक ने कहा कि यह घर किसानों की तरह मजबूत, स्थायी हैं. 25 मकान बनाए गए हैं, आने वाले दिनों में 1000-2000 मकान बनाए जाएंगे.