चीन के लिए आज बेहद खास दिन, मंगल ग्रह पर करने जा रहा ये काम

लैंडर और रोवर का कुल वजन 2866 पाउंड है. ये दोनों साथ में ही ऑर्बिटर से उतरेंगे. चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (China National Space Administration) के लूनर एक्सप्लोरेशन एंड स्पेस प्रोग्राम सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर लियू तोंगजी का कहना है .

लैंड होने से पहले आखिरी सात मिनट में दोनों अंतरिक्षयानों की गति 12,427 मील (20 हजार किलोमीटर) से कम होकर 0 पर आएगी. इस रोवर में छह उपकरण लगाए गए हैं.

जो मंगल ग्रह से जरूरी जानकारी जुटाएंगे. सीएनएसए का कहना है, ‘प्राचीन चीनी पौराणिक कथाओं में जुरोंग आग के देवता को कहा जाता है. जिससे लाल ग्रह पर चीन का नाम गूंजेगा.’

तियानवेन-1 ने फरवरी महीने में ही मंगल की कक्षा में प्रवेश कर लिया था. अब ये रोवर को मंगल पर उतरेगा और उसी क्षेत्र में रोवर उतरने की कोशिश करेगा, जहां 1976 में नासा का विकिंग 2 लैंडर उतरा था.

तियानवेन महीनों से मंगल के चक्कर लगा रहा है. वह चीन के रोवर और लैंडर को उतारने के लिए तभी से सतह की मैपिंग कर रहा था. तियानवेन नाम एक प्राचीन कविता के शीर्षक से लिया गया है. चीन के ‘तियानवेन-1’ (Tianwen-1) का अंग्रेजी में मतलब ‘क्वेश्चन्स टू हेवेन’ (स्वर्ग से सवाल) है.

टेरर के सात मिनट का मतलब है, ये रोवर 12 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से 0 मील प्रति घंटे की रफ्तार पर आकर सतह पर उतरेगा (7 Minutes of Terror). यही सात मिनट आखिरी पड़ाव माने जाते हैं.

जो तय करेंगे कि रोवर की लैंडिंग कैसी हुई है. इसमें गति को घटाने की भी व्यवस्था होती है. वहीं जुरोंग नाम एक अग्नि देवता के नाम पर रखा गया है. ये रोवर चीन के अंतरिक्ष यान ‘तियानवेन-1’ (Tianwen-1 Spacecraft of China) की बेली में लगा हुआ है.

चीन का जुरोंग रोवर (Zhurong Rover) शुक्रवार को मंगल ग्रह पर लैंड होगा. रोवर का मंगल पर उतरना चीन के लिए इसलिए इतना खास है क्योंकि ये उसका पहला इंटरसेप्टरी मिशन है.

अधिकारियों ने गुरुवार को बताया है कि कैप्सूल शाम करीब 7:11 बजे ‘टेरर के सात मिनट’ से गुजरेगा. बिल्कुल वैसे ही जैसे इस साल के शुरुआत में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के लिए परसिवरेंस रोवर के आखिरी सात मिनट बेहद अहम थे.