उत्तराखंड में हर तीसरा वयस्क नागरिक, श्रमिक , ई-श्रम पोर्टल पर हुए पंजीकरण

उत्तराखंड में हर तीसरा वयस्क नागरिक, श्रमिक है। यह तथ्य भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के ई-श्रम पोर्टल पर अब तक हुए पंजीकरण में सामने आया है। एक करोड़ से अधिक आबादी वाले उत्तराखंड में 18 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या करीब 82 लाख है।

वहीं श्रम मंत्रालय के पोर्टल पर अब तक 28 लाख से अधिक श्रमिक पंजीकृत हो चुके हैं। ऐसे में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या का 36 फीसदी है। देश में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डेटा एकत्र करने के लिए केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बीते साल 26 अगस्त को ई-श्रम पोर्टल लांच किया था।

हर राज्य में श्रम विभाग को पोर्टल के जरिए आशा कार्यकत्री, निर्माण श्रमिक, रिक्शा-टैक्सी चालक, स्ट्रीट वेंडर्स आदि का पंजीकरण कराने को कहा गया। उत्तराखंड श्रम निदेशालय से मिले आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक 28 लाख 63 हजार 752 श्रमिक पंजीकृत हो चुके हैं।

उत्तराखंड में श्रमिकों की अनुमानित संख्या 31.50 लाख आंकी गई है। श्रम विभाग को अब केवल साढ़े 3 लाख श्रमिकों का पंजीकरण कराना है। ऐसे में उत्तराखंड में श्रमिकों की संख्या में इजाफा होने की पूरी संभावना है।

राज्य बने भले ही 21 साल हो गए हैं लेकिन यहां बारी-बारी से राज करने वाले दलों ने कभी लोगों को बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कोई बड़ी पहल नहीं की। बल्कि रोजगार-स्वरोजगार देने के नाम पर उनके जंगल-जमीन छीने गए।

बाहरी लोगों को नौकरी में तवज्जो दी गई। इसी का नतीजा है कि आज 18 की उम्र पार कर आईएएस-आईपीएस, आईएफएस, इंजीनियर, डॉक्टर बनने के ख्वाब देखने वाला युवा फड़-ठेली लगाकर चाय-पकौड़े बेच रहे हैं। पिता सड़क, पुल बनाने में मजदूरी तो मां आशा-आंगनबाड़ी कार्यकत्री बन अल्प पगार में काम कर रही है।