एक फरवरी से E-Commerce कंपनियों के लिए नियम में परिवर्तन किए गए हैं। नयी नीति लागू होने के बाद Amazon व Walmart को करीब 50 बिलियन डॉलर ( 3 लाख 50 हजार करोड़) रुपये का नुकसान हुआ है। 2018 में दोनों कंपनियों ने बड़े पैमाने पर हिंदुस्तान में निवेश किया था। अमेजन ने इंडियन मार्केट में करीब 5 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। वहीं, वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी 16 बिलियन डॉलर में खरीदी था।
भारत में नयी नीति लागू होने के बाद Nasdaq (अमेरिकी शेयर मार्केट) लिस्टेड अमेजन के शेयर की मूल्य 5.38 प्रतिशत गिर गई। वहीं, वॉलमार्ट के शेयर की मूल्य 2.06 प्रतिशत गिर गई। शुक्रवार को शेयर की मूल्य गिरने के बाद अमेजन की बाजार वैल्यू 795.18 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई, जबकि वॉलमार्ट की बाजार वैल्यू 272.69 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई। फ्लिपकार्ट की तरफ से बयान जारी कर बोला गया कि वह हिंदुस्तान में FDI के नियमों में परिवर्तन को लेकर निराश है। कंपनी का कहना है कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया।
सरकार ने दिसंबर महीने में ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश के नियमों पर सफाई जारी की थी। सफाई में बोला था कि विदेशी निवेश लेने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म यानि वेबसाइट पर अपनी ही ग्रुप की कंपनियों या सहयोगी कंपनियों के सामान बेचने की इजाजत नहीं होगी।
अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसी महान ई-कॉमर्स कंपनियां जो सामान अपनी वेबसाइट पर बेचती हैं उसमें उनकी सहयोगी कंपनियों की ओर से सप्लाई किए जाने वाले प्रोडक्ट भी होते हैं।कई बार इसकी वजह से भी कीमतों को प्रभावित कर सस्ता सामान बेचा जाता है। विदेशी निवेश लेने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों की दलील थी कि उनकी सहयोगी कंपनियों के पास करीब 6 हज़ार करोड़ रुपये का माल है जिसकी एक महीने में ही बिक्री कर पाना संभव नहीं होगा। इसकी वजह से उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ेगा। इसलिए गवर्नमेंट नियमों को लागू करने की समय सीमा 6 महीने बढ़ाए। लेकिन गवर्नमेंट ने इस दलील को नकार दिया।