मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपने पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दु:ख एवं शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं।
उन्होंने जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में ही दिया।
अन्तिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं अंतिम दर्शन न कर सका।
कल 21 अप्रैल को उनका अन्तिम संस्कार किया जाएगा। मैं लॉकडाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण उसमें भी भाग नहीं ले पाने का निर्णय ले रहा हूं।
पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पूजनीय मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अन्तिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें।
पिता की हालत गम्भीर होने के बाद भी अफसरों के साथ की बैठकगौरतलब है कि पिता की हालत बेहद गम्भीर होने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लॉकडाउन के दौरान विभिन्न स्थितियों को लेकर अधिकारियों से फीडबैक लेते रहे।
लॉकडाउन में प्रदेश की जनता के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।