CRPF की टुकड़ी पर पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद कड़ी कार्रवाई

सीआरपीएफ की टुकड़ी पर गुरुवार को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करने की मांग को देखते हुए विशेषज्ञ पश्चिम और पूरब की तरफ बहने वाली सिंधु और ब्यास नदियों का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने पर विचार कर रहे हैं. वहीं, कुछ इसकी संभाव्यता पर शक जता रहे हैं. जल संसाधन मंत्रालय के सेवानिवृत्त शीर्ष अधिकारी एम. एस. मेनन का कहना है कि पाकिस्तान को दिए जानेवाले पानी को रोका जा सकता है. उन्होंने सिंधु जल समझौते पर लंबे समय से काम किया है. उन्होंने कहा, हमने अधिक पानी उपभोग करने की क्षमता विकसित कर ली है. स्टोरेज डैम में निवेश बढ़ाकर हम ऐसा कर सकते हैं. झेलम, चेनाब और सिंधु नदी का बहुत सारा पानी देश में ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता पूरब की तरफ बहने वाली नदियों-ब्यास, रावी और सतलुज के लिए हुआ है और भारत को 3.3 करोड़ एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिला है, जबकि पाकिस्तान को 80 एमएएफ पानी दिया गया है. विवादास्पद यह है कि संधि के तहत पाकिस्तान को भारत से अधिक पानी मिलता है, जिससे यहां सिंचाई में भी इस पानी का सीमित उपयोग हो पाता है. केवल बिजली उत्पादन में इसका अबाधित उपयोग होता है. साथ ही भारत पर परियोजनाओं के निर्माण के लिए भी सटीक नियम बनाए गए हैं.

एक दूसरे सेवानिवृत्त अधिकारी, जो मंत्रालय में करीब दो दशकों तक सिंधु आयुक्त रह चुके हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान को पानी रोकना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अंतराष्ट्रीय संधि है, जिसका भारत को पालन करना अनिवार्य है. उन्होंने कहा, मैं नहीं समझता कि इस प्रकार का कुछ करना संभव है. पानी प्राकृतिक रूप से बहता है. आप उसे रोक नहीं सकते. पूर्व अधिकारी ने कहा कि अतीत में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है, लेकिन लोग ऐसी मांग भावनाओं में बहकर करते रहते हैं.

वहीं दूसरी ओर भारत ने पाकिस्तान से आनेवाले और पाकिस्तान में बने सभी सामानों पर 200 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिया है. पड़ोसी पर बदले की कार्रवाई के तहत सरकार ने यह फैसला जम्मू और कश्मीर में किए गए अब तक के सबसे भीषण हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवानों के शहीद हो जाने के बाद किया है, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के एक कार्यकर्ता ने ली है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि भारत आंतकवादी हमलों के बाद तुरंत प्रभाव से पाकिस्तान को दिया गया ‘सर्वाधिक तरजीही देश’ का दर्जा वापस ले रहा है. भारत ने यह दर्जा विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्यों को टैरिफ्स और ट्रेड, 1994 के सामान्य समझौते के अनुच्छेद 1 के प्रावधानों के मुताबिक दिया है.