यूपी में नई स्पेशल फोर्स बनाना, जानिए क्या है योगी सरकार का असल मकसद

नई स्पेशल फोर्स के पहले फेज के ऑपरेशन पर 1,747 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है दरअसल, बीते डेढ़ साल में यूपी में अदालतों में अपराध की कई गंभीर घटनाएं देखने को मिली हैं।

 

2019 में तो कई सनसनीखेज वारदातें देखने को मिली थी। 28 फरवरी को बस्ती जिला अदालत परिसर में जगननारायण यादव नाम के एक वकील की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

12 जून को आगरा जिला अदालत की बार काउंसिल की चेयरमैन दरवेश कुमारी यादव को भी कोर्ट परिसर के भीतर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई।

17 दिसंबर को बिजनौर जिला कोर्ट में दो हत्यारों को तिहाड़ जेल से ट्रायल के लिए लाया गया था, उनपर गोलियां चलाई गईं, एक की मौत हो गई और दूसरा मौके का फायदा उठाकर भाग गया।

अगर यूपीएसएसएफ को लगता है कि कोई अपराध हुआ है या हो रहा है तो उसकी (अपराधी) संपत्ति और घर की तलाशी ली जा सकती है और उसे गिरफ्तार कर सकता है। इसके लिए वारंट और मैजिस्ट्रेट की इजाजत की आवश्यकता नहीं होगी।’

हालांकि, यूपी के गृह विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि इस तरह की स्पेशल फोर्स मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स में 9,919 सुरक्षाकर्मी होंगे और इसका हेडक्वार्टर लखनऊ में होगा।

साथ ही एडीजी रैंक के एक पुलिस अधिकारी इसके चीफे होंगे। यूपीएसएसएफ के पास इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच, जिला अदालतों, राज्य सरकार के महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तरों, पूजा और उपासना स्थलों, मेट्रो रेल, एयरपोर्ट, बैंक और वित्तीय संस्थानों के अलावा ऑद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी। निजी कंपनियां भी स्पेशल फोर्स की सेवाएं ले सकती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पैसे देने होंगे।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश के आधार पर एक नई स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स गठित कर रही है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को सिविल कोर्ट और दूसरे सरकारी दफ्तरों और इमारतों की रक्षा का इंतजाम करने को कहा था, जहां पिछले कुछ साल में कई हिंसक वारदातें देखने को मिली हैं।

लेकिन, जब से उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन का ऐलान हुआ है, इसको लेकर विवाद भी शुरू हो चुके हैं। खासकर सरकार के उस बयान पर ज्यादा विवाद किया जा रहा है कि इस फोर्स के पास इतना अधिकार होगा कि उसे किसी को गिरफ्तार करने या छापेमारी के लिए किसी वारंट की भी जरूरत नहीं होगी।

13 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन में यूपी के एडिश्नल चीफ सेक्रेटरी (होम) अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा था, ‘इसके पास किसी को भी बिना मैजिस्ट्रेट की इजाजत और वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार होगा।