स्वाद-गंध ही नहीं गले की आवाज भी छीन सकता है कोरोना संक्रमण, सामने आया हैरान करने वाला मामला

कोरोना संक्रमण के कारण अब तक कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं रिपोर्ट की जाती रही हैं। इसके पहले के अध्ययनों में संक्रमण के बाद होने वाली लॉन्ग कोविड की समस्याओं ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी थी। एक बार फिर से कोरोना का खतरा वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट JN.1 वैरिएंट के कारण चीन-सिंगापुर, भारत सहित कई देशों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना कई प्रकार से शारीरिक समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है जिसको लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

इस बीच एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोरोना का संक्रमण स्वाद और गंध के बाद अब गले की आवाज भी छीनता दिख रहा है। अपने तरह के पहले मामले में कोविड-19 के कारण वोकल कार्ड पैरालिसिस का मामला सामने आया है। आइए इस समस्या के बारे में जानते हैं।

कोरोना के कारण होने वाली समस्याएं

अमेरिका में मैसाचुसेट्स आई और ईयर हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि कोरोना संक्रमण के कारण तंत्रिका तंत्र से संबंधित या न्यूरोपैथिक जटिलताएं भी हो सकती हैं, इसी के परिणामस्वरूप वोकल कार्ड (आवाज की नली) में लकवा होने का मामला सामने आया है।

जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कोरोना के कारण होने वाली इस गंभीर समस्या को लेकर सावधान किया है।

संक्रमण के बाद चली गई बच्ची की आवाज

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमण की पुष्टि के कुछ दिनों बाद एक 15 वर्षीय किशोरी को अचानक सांस लेने में परेशानी होने लगी। अस्पताल में जांच के दौरान पाया गया कि तंत्रिका तंत्र पर कोविड के दुष्प्रभाव के कारण किशोरी को वोकल कॉर्ड पैरालिसिस हो गया। बच्ची को पहले से ही अस्थमा और एंग्जाइटी की समस्या भी रही है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस केस के एंडोस्कोपिक जांच में पाया गया है कि किशोरी के वॉयस बॉक्स या ‘स्वरयंत्र’ में पाए जाने वाले दोनों वोकल कॉर्ड में ये दिक्कत आई है।

किशोर में वोकल कॉर्ड पैरालिसिस का पहला मामला

अध्ययन के लेखकों का कहना है कि कोविड-19 की शुरुआत के बाद किसी किशोर में वोकल कॉर्ड पैरालिसिस का यह पहला मामला है, हालांकि वयस्कों में इस तरह की स्थिति पहले भी रिपोर्टें की गई हैं।

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर क्रिस्टोफर हार्टनिक कहते हैं, वायरस से संक्रमण के कारण सिरदर्द, दौरे पड़ने और पेरिफेरल न्यूरोपैथी सहित कई तरह की न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं देखी जाती रही हैं। इस मामले से पता चलता है कि वोकल कॉर्ड पैरालिसिस, कोरोना वायरस की एक अतिरिक्त न्यूरोपैथिक जटिलता हो सकती है।

क्या है अध्ययन की निष्कर्ष?

अध्ययन के निष्कर्ष में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि जिन रोगियों के पहले से ही अस्थमा या न्यूरोलॉजिकल समस्या रही है, उनमें इसका खतरा अधिक हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान ही डॉक्टरों को न्यूरोलॉजी-मनोचिकित्सा आदि पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

कोरोना के कारण पहले भी कई तरह की जटिलताएं सामने आती रही हैं, ऐसे में कहा जा सकता है कि ये सिर्फ श्वसन संक्रमण तक ही सीमित रोग नहीं है।