कोरोना को लेकर सामने आया ये बड़ा सच , 2015 से ही चीन कर सकता था ऐसा…

शोध पत्र की यह हैरान करने वाली जानकारी 6 साल पहले छपी थी, किन्तु कोरोना की वजह से उपजे वैश्विक संकट से यह अस्वाभिक रूप से समानता है।

ऑस्ट्रेलियाई रणनीतिक संस्थान के कार्यकारी निदेशक पीटर जेनिंग्स ने अपने दस्तावेज़ों में ‘स्मोक गन’ के रूप में इस रहस्य पर से पर्दा उठाया है।

उन्होंने इस मामले में जोर देते हुए कहा है कि, ‘मुझे लगता है कि यह अहम है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस के अनेक रूपों को मिलिट्री वेपन के तौर पर उपयोग करने के बारे में सोच रहे हैं। वे यह सोच रहे हैं कि इसे कहाँ डिप्लॉय किया जाय।’

‘द अननैचुरल ओरिजिन ऑफ सार्स एंड न्यू स्पीसीज ऑफ मैन-मेड वायरस टू जेनेटिक बायो वेपन’ शीर्षक वाले इस रिसर्च पेपर में चीनी वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने भविष्यवाणी की थी कि किस प्रकार से तीसरे विश्व युद्ध में ‘जैविक हथियारों’ का उपयोग किया जाएगा।

इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे SARS कोरोना महामारी को ‘जेनेटिक हथियारों’ के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसमें कृत्रिम रूप से हेरफेर करके मानव रोग वायरस में बदला जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चर्चा की है कि इस वायरस को ऐसे हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया होगा।

पूरे विश्व में कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ मैग्जीन ने हैरान करने वाला खुलासा किया है। मैग्जीन ने 6 वर्ष पूर्व 2015 के चीनी वैज्ञानिकों के रिसर्च पेपर के माध्यम से दावा किया है कि SARS कोरोना वायरस के जरिए चीन दुनिया के खिलाफ जैविक हथियार बना रहा था।