कांग्रेस का दावा, बिहार की प्रमुख पार्टियां सहमति बनाकर आएं तो सीटों पर फैसला फटाफट

रविवार तक इंडिया गठबंधन अपना आकार ले लेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया है कि इसकी भी शुरुआत बिहार से ही होगी। बिहार में जदयू और राजद सहमति बनाकर आएं। उनकी पहली जिम्मेदारी देश के मुख्य विपक्षी दल को उचित सम्मान देने की है। वरिष्ठ रणनीतिकार का कहना है कि पटना में सहमति बनने के बाद दिल्ली में कोई देर नहीं लगेगी। गठबंधन की राह में आ रहे रोड़े के बारे में पूछने पर सूत्र का कहना है कि यह स्वाभाविक है। राज्यों में क्षेत्रीय दलों की उम्मीदें कुछ ज्यादा रहती है। ऐसे में वास्तविकता के एहसास की जिम्मेदारी केवल कांग्रेस की नहीं है।

जदयू द्वारा अरुणाचल प्रदेश के अलावा बिहार की कुछ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के बारे में सूत्र ने कहा कि इसमें कौन सी बुराई है? यह सभी को पता है कि राय बरेली, अमेठी, वायनाड़ कांग्रेस की परंपरागत सीटें हैं। इस तरह की सीटों पर हम भी प्रत्याशी की घोषणा कर सकते हैं। मैनपुरी, कन्नौज समेत कुछ सीटें समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीटें हैं। ऐसे ही कुछ सीटें राजद की भी हैं। बारामती में शरद पवार का ही दावा रहेगा।

बिहार में गहमा गहमी तेज है

बिहार में नीतीश कुमार ने अपने घनिष्ठ सहयोगी पूर्व जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन सिंह) से चर्चा की। नीतीश कुमार ने बुधवार को भी चर्चा की थी। नीतीश कुमार ललन सिंह को छोडऩे उनके घर तक गए थे। इसके बाद नीतीश कुमार की राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से चर्चा हुई। तेजस्वी यादव भी मुख्यमंत्री आवास पर नीतीश कुमार से मिलने गए थे। तेजस्वी के करीबी विधायक का कहना है कि जाहिर है, इस समय लोकसभा चुनाव 2024 ही सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें सीटों का बंटवारा ही अहम है। मजे की बात यह है कि बिहार में विचारधारा से जुड़े लोग चाहते हैं कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की जोड़ी न टूटे। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद भी एक दूसरे की अहमियत को समझ रहे हैं। दिल्ली में जदयू के एक नेता साफ कहते हैं कि मीडिया की कपोल कल्पना छोड़ दीजिए। यह हमें भी पता है कि एनडीए में लौटने के बाद क्या इज्जत हमारी होगी और हमारे अलग होने के बाद राजद को भी इसकी कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी। जदयू महासचिव केसी त्यागी के बयान है कि राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है, सूत्र का कहना है कि न इसमें कुछ गलत है और न ही इस आधार पर कोई निष्कर्ष निकाल लेना चाहिए।

कहीं कुछ गड़बड़ नहीं, सीटें लगभग तय हैं

कर्नाटक सरकार में मंत्री और राहुल गांधी के करीबी नेता बताते हैं कि इंडिया गठबंधन के तहत सभी सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बिहार से आने वाले कांग्रेस के दिल्ली में बैठे एक नेता ने कहा कि 40 सीटों में 06 कांग्रेस ने मांग लीं, तो क्या गलत किया? किशनगंज से तो हमारा सांसद है। फिर वामदल को 02 सीटें तो कम से कम चाहिए। वाम दल तीन सीट पर लडऩा चाहते हैं। सूत्र का कहना है कि अभी दोनों प्रमुख दल दावा तो 18-18 सीटों का कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस 6 सीटों पर, वाम दल दो सीटों पर बिहार में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। शेष सीटें राजद और जद(यू) के हिस्से में जाएंगी।