हथियारों से लैस चीनी सैनिको ने किया ये काम, रॉड और डंडों से…मारा…

इसलिए जो काबिज होता है, वह बढ़त में होता है। मूलत: यह वह स्थान है जिस पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है, लेकिन दोनों देशों की सेनाएं इस क्षेत्र में कभी-कभार गश्त करती हैं।

 

लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र सिंह (रि.) के अनुसार रेंजांगला के इलाके में इस क्षेत्र की तमाम चोटियां रणनीतिक रूप से अहम है। इन चोटियों से दोनों तरफ निगाह रखना संभव है।

इसी प्रकार फिंगर इलाके में चार से आठ तक जहां चीनी सेनाएं डटी हुई हैं, वह भी बिना किसी नियंत्रण वाले क्षेत्र थे जिन पर मई में आकर चीनी सेना बैठ गई।

ऐसा करना इसलिए जरूरी था, क्योंकि चीनी सेना फिंगर-4 एवं फिंगर-5 की चोटियों पर डटी हुई थी, जबकि भारतीय सेना निचले इलाकों में थी। पिछले सप्ताह भारतीय सेना ने ब्लैक टॉप समेत कई चोटियों पर मोर्चा संभाला।

इससे वह चीनी सेना से बेहतर पॉजीशन में आ गई। इतना ही नहीं भारतीय सेना ने मुखपरी पहाड़ी पर भी अपनी मौजूदगी कायम की है। चीन की तरफ से मुखपरी पहाड़ी का जिक्र शेनपाओ माउंटेन नाम से किया जा रहा है।

सेना के सूत्रों के अनुसार सोमवार को करीब छह-सात हजार चीनी सैनिक हथियारों के साथ-साथ रॉड, डंडों एवं अन्य नुकीले हथियारों से भी लैस थे। ऐसा प्रतीत होता है कि वे गलवान घाटी की घटना को दोहराना चाहते थे।

गलवान घाटी में इसी प्रकार के हथियारों के हमले में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, लेकिन उस घटना के बाद से सेना हर प्रकार की स्थितियों के लिए तैयार थी.

इसलिए, चीनी सेना की कोशिश नाकाम हो गई। भारतीय सेना ने हाल के दिनों में पैंगोंग इलाके में कई स्थानों पर अपनी तैनाती नए सिरे से की है। उसने रणनीतिक रूप से कई अहम चोटियों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।

दक्षिणी पैंगोंग में रेजांगला से करीब एक किलोमीटर की दूर पर स्थित मुखपरी पहाड़ी पर चीनी सैनिकों ने सोमवार की शाम घुसपैठ करने की कोशिश की। यह रणनीति दृष्टि से बेहद अहम है।

यदि इस चोटी पर चीनी सेना काबिज हो जाती तो वह पैंगोंग इलाके में भारतीय सैनिकों की तैनाती से लेकर आवाजाही तक पर नजर रख सकती थी, लेकिन सेना ने उसकी कोशिश को विफल करार दिया।