चीन की अकड़ नहीं हो रही कम, वापस लौट…

कोर कमांडरों के बीच हुए समझौते के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कम से कम 1.5 किमी. का एक बफर क्षेत्र बनाया जाना है. सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में बर्फ पिघलने से गलवान नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया है.

जिससे चीनियों को क्षेत्र से तेजी से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा होगा. बताया जा रहा है कि भारतीय सेना चीनी सैनिकों पर नजर बनाए रखने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रही है, क्योंकि गलवान नदी के बढ़ते पानी की वजह से वहां जाकर स्थिति का आकलन करने में बाधा उत्पन्न हुई है.

दो पक्षों की ओर से सेनाओं को हटाने की प्रक्रिया दो महीने के सैन्य गतिरोध के बाद ‘कॉर्प्स कमांडर स्तर की बैठकों में तय शर्त के अनुसार’ हो रही है. सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों को गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 पर टेंट संरचनाओं को हटाते हुए देखा गया था.

जहां 15 जून की रात भारतीय पीएलए के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. चार दशकों में दोनों सेनाओं के बीच हुई इस सबसे भीषण झड़प में कुल 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. वहीं चीन के भी कुछ सैनिक मारे जाने की खबर है, मगर चीन ने अभी तक अपने हताहत हुए सैनिकों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं किया है.

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक अभी तक पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में पैंगोंग झील डेपसांग से पीछे नहीं हटे हैं. सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि भारतीय सेना (Indian Army) ने यह पाया है कि अपने तमाम सामान सहित चीनी सैनिक पैंगोंग झील डेपसांग क्षेत्र से वापस नहीं लौटे हैं.

भारतीय चीनी सैनिकों के हटने की प्रक्रिया लद्दाख सेक्टर में गलवान घाटी (Galwan Valley), हॉट स्प्रिंग्स गोगरा पोस्ट में शुरू हुई है. हालांकि यह अभी तक सत्यापित नहीं किया गया है.