लद्दाख में चीन ने की ये बड़ी हरकत, भारी संख्या में बुलाई सेना

संसार के अन्य मुल्कों ने भी हिमालय वाले क्षेत्र में चाइना की विस्तारवादी नीति का विरोध कर रहे है। खुद अमेरिका ने चाइना के इस कदम की आलोचना की है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इसे अविश्वसनीय व चाइना की आक्रामक जाँच की आलोचना की है।

 

जियानली के मुताबिक चाइना केवल अपने मजबूत होने की चिंता में हिन्दुस्तान के साथ अविश्वसनीय पक्ष प्रकट कर रहा है। हिंदुस्तान ने इस पर रिएक्शन देते हुए सैन्य, कूटनीतिक एवं प्रौद्योगिकी चीज का सहारा लिया है। जिसके साथ भारत को अन्य राष्ट्रों का भी समर्थन मिल गया है।

दोनों राष्ट्रों के बीच बेहतर संबंधों में पैदा हुआ अविश्वास: जंहा इस बारें में उन्होंने बताया कि साल 2018 में वुहान में चाइना के राष्ट्रपति शी चिनफिंग व हिंदुस्तान के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठकों के रिजल्ट्स दोनों राष्ट्रों के बीच पुष्टिकारक संबंध विकसित हुए।

उन्होंने बताया कि अपने आप को मजबूत दिखाने के उत्साह में चाइना ने पूर्वी लद्दाख में सेना को उकसाने की जाँच कर रहे है।उक्त बातें एक चाइना की असंतुष्ट व एक पूर्व कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के बेटे जियानली यांग ने कहा- न्यूजवीक में अपनी राय जताते हुए बताया है कि कोरोना महामारी के प्रकोप को प्रभावी तरीका से संभाल पाने में असफल रहा व स बात से चाइना बहुत ही निराश है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बीजिंग की जाँच ने बीते सालों के बीच हिन्दुस्तान-चाइना के मध्य बने पुष्टिकारक रिश्तों में एक फुट डाल रहे है। पूर्वी लद्दाख में चाइना की सेना इस खूनी संग्राम से दोनों राष्ट्रों के मध्य विश्वास टूटता जा रहा है।