LAC पर चीन फिर हुआ आक्रामक, अब कर सकता है ये काम

ऐसे में वर्तमान गतिरोध के लंबे समय तक रहने की संभावना है.’ बीते रविवार को दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी. इस बैठक के बाद पैंगोंग त्सो इलाके में पीछे हटने को लेकर चीन ने न सिर्फ अड़ियल रवैया अपनाया बल्कि भारतीय सेना के फिंगर-2 से पीछे हटने की शर्त रख दी है.

दस्तावेज में कहा गया है कि ‘पारस्परिक रूप से स्वीकार्य आम सहमति पर पहुंचने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है.

कोर कमांडर लेवल फ्लैग मीटिंग 6 जून को आयोजित हुई थी. डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए 22 जून को सैन्य वार्ता हुई थी.

इस दस्तावेज को मंत्रालय की वेबसाइट पर 4 अगस्त को अपलोड किया गया था. इस दस्तावेज में का गया है कि इस दौरान दोनों पक्षों के सशस्त्र बलों के बीच जमीनी स्तर पर बातचीत हुई.

रिपोर्ट के अनुसार जून में रक्षा विभाग की प्रमुख गतिविधियों को सूचीबद्ध करने वाले एक आधिकारिक दस्तावेज में मंत्रालय ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 17-18 मई के दौरान कुगरांग नाला, गोगरा और उत्तरी बैंक के पैंगोंग त्सो क्षेत्रों में भारतीय क्षेत्र की ओर आयी.

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी आक्रामकता बढ़ती जा रही है और मौजूदा गतिरोध लंबे समय तक रहने की उम्मीद है. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है कि गलवान घाटी के संदर्भ में यह बात कही जा रही है जहां भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून को झड़प हुई थी.