आखिरकार चीन ने अमेरिका को दी ये बड़ी चेतावनी, कहा- ज्यादा…तनातनी…

व्यापार, कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति, हांगकांग में नए सुरक्षा कानून को लेकर चीन की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक सैन्य रवैये को लेकर अमेरिका की चीन के साथ तनातनी चल रही है।

 

संसद सत्र के अंत में वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ली ने वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव के बारे में सवालों का सावधानीपूर्वक जवाब दिया।

उन्होंने ट्रंप और अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो द्वारा रोजाना लगभग कई मुद्दे उठाए जाने का जिक्र नहीं किया जिसमें वे कोरोना वायरस महामारी के लिए बीजिंग को जिम्मेदार ठहराते हैं।

ली ने कहा, ‘हमारे आर्थिक व्यवसाय ने लंबा सफर तय किया है और इससे दोनों पक्षों को काफी लाभ पहुंचा है।’ उन्होंने कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

दोनों देशों के बीच शीत युद्ध जैसी स्थिति पैदा होने और अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने की चेतावनी पर ली ने कहा, ‘हमने शीत युद्ध की मानसिकता को छोड़ दिया है।

और दोनों बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच संबंध तोड़ने से किसी पक्ष का भला नहीं होगा और पूरी दुनिया को नुकसान होगा।’ चीन में अमेरिकी कंपनियों द्वारा व्यापक निवेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय बाजार और व्यवसाय पर छोड़ दिया जाना चाहिए और इसमें सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वह दुनिया की 2 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंध तोड़ देंगे।चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बाद ली दूसरे नंबर के नेता हैं। ली ने कहा, ‘यह सच है कि वर्तमान में चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में नयी समस्याएं और चुनौतियां आ गई हैं।’

उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंध कठिन दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा, ‘चीन-अमेरिका के बीच संबंधों को ठीक करना दोनों देशों और पूरी दुनिया के लोगों के हित में है।’

चीन के प्रधानमंत्री ली किकियांग ने गुरुवार को ट्रंप प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी से उतारने के प्रयास से किसी का भी भला नहीं होगा और पूरी दुनिया को नुकसान होगा।

उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका को अपनी असहमतियों को दूर करना चाहिए और एक-दूसरे के ‘मुख्य हितों’ का सम्मान करना चाहिए। साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि घातक वायरस के स्रोत पर स्पष्ट विचार होना जरूरी है क्योंकि वह विज्ञान के आधार पर इसका पता लगाने के प्रयासों का समर्थन करते हैं।