रातो – रात चीन ने हड़प ली नेपाल की जमींन, अब करने जा रहा ये काम

विदेश मामलों के जानकार भी हैरत में पड़ गए कि जब नेपाल और भारत के बीच सदियों से मैत्री संबंध रहे हैं तो अचानक क्या हुआ जो नेपाल इतना अटैकिंग मोड में आ गया है और अपना नक्शा तक बदलकर भारत के इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा (Lipulekh, Kalapani and Limpiyadhura) पर दावा कर दिया. इसके बाद अब वह बिहार से सटे इलाके में भारत की जमीन पर भी अपना दावा ठोक रहा है.

जानकार मानते हैं कि ऐसा इसलिए कि केपी शर्मा ओली की सरकार ने भारत के प्रति आक्रामक रुख अख्तियार कर अपनी नाकामी छिपाना चाहती है. ये बात सही भी साबित होती लग रही है, क्योंकि अब जाकर नेपाल की उस करतूत का कच्चा चिट्ठा खुलता नजर आ रहा है.

जिसमें उसने चीन के हाथों अपनी जमीन गंवा दी है. दरअसल, नेपाल सरकार भारत विरोध की आड़ में उन कमियों को छिपाना चाह रही है जो उसने कर दी है और जिस कारण वह अब चीन की ग्रिप में फंसता नजर आ रहा है.

चीन ने धीरे-धीरे नेपाल के गांवों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की ओली सरकार अपनी इसी नाकामी को छिपाने के लिए भारत से मतभेद की बातों को हवा दे रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल में चीन ने नेपाल के जिस गांव में लाल झंडे गाड़ दिए हैं, वो नेपाल के उत्तरी गोरखा क्षेत्र का रुई गांव है.बीते कुछ महीनों में नेपाल और भारत (Nepal and India) के संबंध सामान्य नहीं दिख रहे हैं.

उत्तराखंड के लिपुलेख, लिम्या धूरा और कालापानी को अपने नक्शे में दिखाने के बाद नेपाल ने बिहार के पूर्वी चंपारण (East Champaran) जिले की 500 मीटर जमीन पर नेपाल ने अचानक अपना दावा पेश कर दिया. दरअसल, जिस इलाके में एक बांध का निर्माण कराया जा रहा है.

उसे नेपाली सेना ने रुकवा दिया है. नेपाल का कहना है कि यह बांध लालबकेया नदी पर पहले से ही है. तटबंध के पुनर्निर्माण को लेकर नेपाल के लोगों के बदले रुख से भारतीय क्षेत्र के ग्रामीण आक्रोशित हैं.

दूसरी ओर नेपाल की जनता और नेपाल सीमा प्रहरी के बदले तेवर से सीमावर्ती बलुआ गुआबारी के ग्रामीणों में आक्रोश है. न्यूज 18 से बात करते हुए बलुआ गुआबारी के मुखिया अतिकुर रहमान बताते हैं कि जब से होश संभाला है, नेपाल के लोगों में ऐसा बदलाव कभी नहीं देखा है. मुखिया बताते हैं कि नेपाल के लोगों के साथ सदियों से बेटी रोटी का संबंध रहा है.