चीन को लगा ये बड़ा झटका, साफ हो रहा है…

अब नेता भी दावा कर रहे हैं कि कंपनी की 5जी टेक्नॉलजी और दूसरे उपकरणों की मदद से चीन फ्रांस के अंदर सर्विलांस और जासूसी कर रहा है। फ्रांस फिलहाल हुवावे को बैन करने के बारे में नहीं सोच रहा है लेकिन ऑपरेटरों को उसका इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा जा रहा है।

वहीँ जो ऑपरेटर पहले से उसके साथ डील कर चुके हैं, उन्हें 8 साल की इजाजत दी गई है। जर्मनी में इसे लेकर आमराय नहीं बन सकी है। चांसलर एंजेला मर्केल हुवावे को किसी दबाव में बैन नहीं करना चाहती हैं लेकिन विपक्ष और उनकी पार्टी के नेताओं का भी कहना है कि समय रहते खतरों को समझना होगा।

गौरतलब है कि यूरोप में हुवावे के टॉप एग्जिक्युटिव अब्राहम लिउ ने फरवरी में दावा किया था कि यूरोप में कंपनी के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि यूरोप के लिए 5जी को यूरोप में ही बनाया जाए। हालांकि, यूरोपीय सरकारें हुवावे के पब्लिक रिलेशन कैंपेन को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही हैं।

हाल ही में एक-एक कर देश 5जी नेटवर्क में उससे डील खत्म कर रहे हैं।Huawei की कोशिश है कि सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स की चिंताओं की वजह से उसकी इमेज को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। इसके लिए बड़े-बड़े इश्तेहार दिए जा रहे हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि दरअसल वह ‘मेड इन फ्रांस’ है।

चीन को इन दिनों दुनियाभर में झटके पर झटके मिलते जा रहे हैं. आपको बता दें कि ऐसे में चीन की टेलिकम्यूनिकेशन कंपनी Huawei पर अमेरिका ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए जासूसी का आरोप लगाया और देश में कंपनी को बैन कर दिया। इसके बाद ब्रिटेन ने भी कंपनी को बैन कर दिया।