संपादक हू जिन ने गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों के बारे में लिखा है कि, ‘सेना में सर्वोच्च सम्मान के साथ मृतकों के साथ व्यवहार किया गया है यह जानकारी आखिर सही समय पर समाज को दी जाएगी, ताकि नायकों को सम्मानित किया जा सके उन्हें याद किया जा सके.’
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों के विपरीत, उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला.
बीजिंग प्रशासन ने ऐसा नहीं किया था. इसके पीछे उसका यही तर्क था कि इससे भारत-चीन सीमा (India-China Border) पर तनाव विस्फोटक रूप ले सकता है.
हालांकि उसकी मंशा इसकी आड़ में मारे गए सैनिकों की सही जानकारी उनके परिवारों से छिपाना था. घरेलू मोर्चे पर उठते विरोध अंतरराष्ट्रीय मंच पर किरकिरी के बाद अब चीन सरकार के मुखपत्र अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सैनिकों के परिवारों को दिलासा देने का काम किया है.
चीन (china) की फितरत में ही धोखा है. वह न सिर्फ अपने पड़ोसी देशों के साथ विश्वासघात करता आया है, बल्कि अपने नागरिकों के साथ भी मक्कारी फरेब के साथ काम लेता है.
ताजा उदाहरण लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों का है. गौरतलब है कि भारतीय पक्ष ने तो अपने हताहत सैनिकों की संख्या नाम स्पष्ट कर दिए थे.