चीन को लेकर सामने आया ये बड़ा सच, जानकर छूटे लोगो के पसीने

विभिन्न आंतरिक बैठकों की रिकार्डिंग के अनुसार चीन की कई सरकारी प्रयोगशालाओं में इसे पूरी तरह से डिकोड किये जाने के बावजूद चीनी अधिकारियों ने एक हफ्ते से अधिक समय तक घातक वायरस के आनुवंशिक नक्शे या जीनोम को जारी करने में देरी की थी और परीक्षण, दवाओं तथा टीकों के लिए विवरण साझा नहीं किया था.

 

रिकॉर्डिंग के अनुसार, 6 जनवरी की बैठक के दौरान अधिकारी शिकायत कर रहे थे कि चीन आंकड़े उपलब्ध नहीं कर रहा है जिससे वायरस से दुनियाभर में होने वाले खतरे का अनुमान लगाया जा सके. चीन ने 20 जनवरी को कोरोना वायरस को संक्रामक बताया था और इसके बाद 30 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने इस वैश्विक आपातकाल घोषित किया था.

स्वास्थ्य अधिकारियों ने 11 जनवरी को विषाणु विज्ञान की एक वेबसाइट पर एक चीनी प्रयोगशाला द्वारा इस बारे में लेख प्रसारित किए जाने के बाद वायरस के जीनोम की जानकारी सार्वजनिक की थी.

बता दें कि डब्ल्यूएचओ सार्वजनिक रूप से कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी तुरंत उपलब्ध कराने के लिए चीन की लगातार सराहना करता रहा है.

समाचार एजेंसी एपी को प्राप्त आंतरिक दस्तावेज, ई-मेल और दर्जनों बातचीत संबंधी रिकार्ड में इस बात का खुलासा हुआ है कि डब्ल्यूएचओ की बैठकों में चीन की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर सूचना और प्रतिस्पर्धा पर सख्त नियंत्रण को काफी हद तक दोष दिया गया था.

हालांकि वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के चीन में एक अधिकारी गुआदेन गालेया ने चीन के सरकारी टीवी का जिक्र करते हुए एक बैठक में बताया था कि उन्होंने सीसीटीवी पर इस जानकारी के आने से 15 मिनट पहले इसे हमारे साथ साझा किया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आतंरिक बातचीत के खुलासे में पता चला है कि कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती और बेहद महत्वपूर्ण दिनों में डब्ल्यूएचओ इस बात के लिए चिंतित था कि नए वायरस से उत्पन्न जोखिम का आकलन करने के लिए चीन पर्याप्त जानकारी साझा नहीं कर रहा है और दुनिया का मूल्यवान समय खर्च हो रहा है.