भारत में बच्चों के लिए जल्द आ सकती ये दवा , फिर पास नहीं आयेंगा कोरोना

कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए कनाडा के बाद अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) भी फाइजर-बायोनटेक की कोरोना वैक्सीन को 12-15 साल के बच्चों में इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दे चुका है।

FDA ने कोरोना वायरस से लड़ाई में इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। हफ्तेभर पहले ही कनाडा ने यह पहल की थी। हेल्थ कनाडा की चिकित्सा सलाहकार डॉ. सुप्रिया शर्मा ने बताया था कि 5 मई को कनाडा ने फाइजर की वैक्सीन को 12-15 साल के बच्चों पर इस्तेमाल के लिए इमरेंजसी अप्रूवल दे दिया था।

इससे पहले यहां इसे 16 साल से अधिक उम्र के लोगों पर इस्तेमाल के लिए परमिशन दी गई थी। इसी के बाद से उम्मीद लगाई जा रही थी कि अमेरिका भी यह कदम उठा सकता है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बच्चों पर यह क्लीनिकल ट्रायल दिल्ली और पटना स्थित एम्स के अलावा नागपुर स्थित मेडिट्रिना मेडिकल साइंस इंस्टीट्यूट समेत विभिन्न स्थानों पर होगा।

केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की कोविड-19 विषय विशेषज्ञ समिति ने मंगलवार को भारत बायोटेक द्वारा प्रस्तुत सिफारिश पर विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया।

इसमें 2 से 18 साल के बच्चों में इम्यूनिटी बढ़ाने और संक्रमण के 525 विषयों का अध्ययन होगा। हाल में भारत बायोटेक ने दावा किया था कि सामान्य कोरोना मरीजों पर कोवैक्सिन 78% तक असर करती है।

एक्सपर्ट्स कमेटी ने कंपनी को तीसरे फेज के ट्रायल के लिए CDSCO से अनुमति लेने से पहले डेटा एंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड (DSMB) को दूसरे फेज का सुरक्षा डेटा मुहैया करने का निर्देश दिया है। बता दें कि 24 फरवरी को कंपनी के प्रस्ताव के मद्देनजर बैठक हुई थी।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सिन देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए अभी 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जा रही है। चूंकि कोरोना संक्रमण से बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए लगातार मांग उठाई जा रही थी कि बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन की अनुमति दी जाए।

कोरोना वैक्सीन से जुड़ी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स कमेटी (SEC) ने मंगलवार को 2 से 18 साल उम्र वालों पर भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के दूसरे और और तीसरे क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी।

अभी तक बच्चों के लिए कोई वैक्सीन नहीं थी। इसे लेकर लगातार आवाजें उठाई जा रही थीं। बच्चों के सुरक्षित भविष्य को देखते हुए भारत बायोटेक ने SEC के सामने इस क्लीनिकल ट्रायल की सिफारिश की थी। संक्रमण से बच्चों के बचाव को लेकर तमाम देश इस दिशा में पहल कर रहे हैं।