विदेश में पैदा हुए बच्चों को अब मिलेगा ये हक , जाने पूरी खबर

मांओं ने दी कोर्ट में चुनौती उच्च न्यायालय में दायर एक मुकदमे में छह माताओं और अभियान समूह फैमिली फ्रंटियर्स ने तर्क दिया कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 8 का उल्लंघन करता है जो लैंगिक भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।

 

इसी मामले पर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि “पिता” शब्द में मां को भी मिलाकर पढ़ना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मांओं के विदेश में जन्मे बच्चे मलयेशियाई नागरिकता के हकदार हैं। पूर्व स्क्वैश चैंपियन और सात वर्षीय बेटे की मां चोंग वाई ली कहती हैं, “मैं बहुत रोमांचित हूं. यह एक बड़ी जीत है।” चोंग ने बताया कि उन्होंने जश्न मनाने के लिए अपने 7 साल के बेटे को मलयेशियाई झंडे वाली टी-शर्ट पहनाई थी।

मुकदमा लड़ रहीं अन्य माताओं की तरह चोंग की शादी एक विदेशी नागरिक से हुई थी और उन्होंने विदेश में बेटे को जन्म दिया था। महिलाओं का कहना है कि नागरिकता नियम परिवारों को विभाजित करते हैं, महिलाओं को अपमानजनक संबंधों में फंसाने का जोखिम उठाते हैं और बच्चों को स्टेटलेस बना सकते हैं। फैसले का बड़ा असर मलेशिया की सरकार जिसने पहले इस मामले को “तुच्छ” के तौर पर बताया था, फिलहाल टिप्पणी से इनकार कर दिया है।

मलयेशियाई माताओं के एक समूह ने विदेशों में पैदा हुए बच्चों को अपनी राष्ट्रीयता देने के अधिकार से जुड़ा एक मुकदमा जीता है। अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है और इस जीत से अन्य देशों में भेदभावपूर्ण नागरिकता कानूनों में सुधार की कोशिशों को बढ़ावा मिल सकता है। मलयेशिया पुरुषों को विदेशों में पैदा हुए बच्चों को नागरिकता देने की इजाजत देता है, लेकिन महिलाएं अब तक उसी अधिकार से वंचित थीं, क्योंकि संविधान केवल “पिता” को उनकी राष्ट्रीयता संतान को सुपुर्द करने का अधिकार देता है।