चैत्र नवरात्र 2021 : जानिए कैसे करे मां दुर्गा की आराधना , पूरे होंगे सब काम

3. पूर्णाहुति हवन व कन्याभोज- 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से किए जाने का विधान है किंतु यदि यह संभव न हो तो देवी के ‘नवार्ण मंत्र’, ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र’ अथवा ‘दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र’ से हवन संपन्न करना श्रेयस्कर रहता है।

श्रद्धालुगण अपने सामर्थ्य के अनुसार उपर्युक्त तीनों ही कार्यों से नवरात्र का प्रारंभ कर सकते हैं अथवा क्रमश: 1 या 2 कार्यों से भी प्रारंभ किया जा सकता है। यदि यह भी संभव नहीं तो केवल घटस्थापना से देवी पूजा का प्रारंभ किया जा सकता है।

 देवीपूजन में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है। यथासंभव नवरात्र के 9 दिनों में प्रत्येक श्रद्धालु को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। किंतु किसी कारणवश यह संभव नहीं हो तो देवी के नवार्ण मंत्र का जप यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए।

चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र में देवी प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है, वहीं आषाढ़ और माघ मास में की जाने वाली देवीपूजा ‘गुप्त नवरात्र’ के अंतर्गत आती है जिसमें केवल मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति प्रज्वलित कर या जवारे की स्थापना कर देवी की आराधना की जाती है।

इस माह की दिनांक 13 अप्रैल, दिन मंगलवार से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होने जा रही है। हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।

हिन्दू वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ, मासों में 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें 2 नवरात्र को प्रगट एवं शेष 2 नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।