दिवाली से पहले मनाया जाता है धनतेरस, जाने पूजा विधि

दिवाली पर्व का आरंभ धनतेरस से होता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन धन तेरस मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है।

धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धनवंतरि क्योंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। धन तेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्युदेव यमराज की पूजा-अर्चना को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन को धनवंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

यह तिथि विशेष रूप से व्यापारियों के लिए अति शुभ मानी जाती है। महर्षि धन्वंतरि को स्वास्थ्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। यह भी माना जाता है कि धनतेरस के शुभावसर पर चल या अचल संपत्ति खरीदने से धन में तेरह गुणा वृद्धि होती है।

एक और कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु द्वारा श्राप दिए जाने के कारण देवी लक्ष्मी को तेरह वर्षों तक एक किसान के घर पर रहना था। मां लक्ष्मी के उस किसान के यहां रहने से उसका घर धन-संपत्ति से भरपूर हो गया। तेरह वर्षों उपरान्त जब भगवान विष्णु मां लक्ष्मी को लेने आए तो किसान ने मां लक्ष्मी से वहीं रुक जाने का आग्रह किया। इस पर देवी लक्ष्मी ने किसान से कहा कि कल त्रयोदशी है और अगर वह साफ़-सफाई कर, दीप प्रज्वलित करके उनका आह्वान करेगा तो किसान को धन-वैभव की प्राप्ति होगी। जैसा मां लक्ष्मी ने कहा, वैसा किसान ने किया और उसे धन-वैभव की प्राप्ति हुई। तब से ही धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन की प्रथा प्रचलित हुई |

धनतेरस पूजा की विधि-

धनतेरस की संध्या में यमदेव निमित्त दीपदान किया जाता है। फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है। विशेषरूप से यदि गृहलक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।

बर्तन खरीदने की परंपरा को पूर्ण अवश्य किया जाना चाहिए। विशेषकर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरि की अहम धातु है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी इस विशेष दिन में नए बही-खाते खरीदते हैं, जिनका पूजन वे दीवाली पर करते हैं।

धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी विशेष परंपरा है। चंद्रमा का प्रतीक चांदी मनुष्य को जीवन में शीतलता प्रदान करता है। चूंकि चांदी कुबेर की धातु है, धनतेरस पर चांदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा की वृद्धि होती है।