रात होते ही चीन ने इस देश को दिखाई ताकत, खुलकर किया…

सिंघुआ विश्वविद्यालय, जिसके पूर्व विद्यार्थियों में राष्ट्रपति शी शामिल हैं, को शिक्षा वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग द्वारा चाइना के नंबर-1 विश्वविद्यालय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

57 वर्षीय प्रोफेसर ने करीब 20 वर्षों तक इस यूनिवर्सिटी में सेवाएं प्रदान की हैं। उधर, यूनिवर्सिटी ने अपने निर्णय को पूरी तरह ठीक करार दिया है।

यूनिवर्सिटी ने औपचारिक रूप से शनिवार को प्रोफेसर को हटाये जाने की सूचना दी। जू झानग्रेन 2018 में एकदम से सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने शी जिनपिंग की आलोचना की थी। तब उन्हें चेतावनी देते हुए निलंबित कर दिया गया था, लेकिन प्रोफेसर सरकार के गलत निर्णयों व नीतियों के विरूद्ध मुखर रहे।

जू झानग्रेन उन चुनिंदा चीनी शिक्षाविदों में से एक हैं, जिन्होंने जिनपिंग की गलत नीतियों की खुलकर आलोचना की। इस विषय में पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया था व करीब छह दिनों बाद उन्हें रिहा किया गया।

प्रोफेसर ने कार्रवाई की परवाह न करते हुए बोला था, ‘कोरोना महामारी ने चीनी शासन के सड़े हुए सिस्टम को उजागर कर दिया है। मैं अभी यह बता सकता हूं कि इसके लिए मुझे दंड दिया जाएगा। संभव है ये मेरे आखिरी शब्द भी हो सकते हैं। मैंने राष्ट्रपति के विरूद्ध बोलने की हौसला की है, जो सरकार की नजरों में क्राइम के समान है’।

चाइना में सरकार के विरूद्ध मुंह खोलने की भारी मूल्य चुकानी पड़ती है। चाइना की प्रतिष्ठित सिंघुआ यूनिवर्सिटी (Tsinghua University) ने अपने कानून के प्रोफेसर जू झानग्रेन (Xu Zhangrun) को केवल इसलिए बर्खास्त कर दिया है, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की नीतियों की आलोचना की थी।