इस फॉर्मूले को अपनाकर चीन ने कोरोना पर पाया काबू, शंघाई के इस डॉक्टर का खुलासा

सेंट माइकल हॉस्पिटल में मेडिकल डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन डॉ.संजीव चौबे ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इस संयोजन को विस्तृत रूप से अपनाया गया है इसके परिणामस्वरूप रोगी ठीक हो रहे हैं उनके चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता में भी कमी आ रही है.

 

जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन से सकारात्मक परिणाम उत्पन्न हुए हैं इससे कोविड-19 के कई मरीजों को ठीक करने में मदद मिली है.

एस्कॉर्बिक एसिड, बी-कॉम्प्लेक्स, जिंक, सेलेनियम, एल-कार्निटाइन, विटामिन बी-12 ग्लूटाथिओन. नॉर्मल सलाइन के इस संयोजन को कम से कम छह हफ्तों के लिए हफ्ते में दो बार मरीजों में प्रशासित किया जाना चाहिए.

यह रोग से बचने का एक उपाय है अन्य दवाओं के साथ ही साथ स्पशरेन्मुख व लक्ष्णात्मक दोनों ही प्रकार के मरीजों के लिए उपयुक्त है.

किसी मरीज को कोविड-19 मुक्त कहने के लिए कोरोनावायरस का परीक्षण कम से कम नौ बार किया जाना चाहिए. चीन में ऐसा ही किया जा रहा है. चीन में यह प्रक्रिया कारगर रही यह भारत में भी काम करेगा. आटी-पीसीआर के माध्यम से कम से कम पांच परीक्षण तो होने ही चाहिए.

नोवेल कोरोना वायरस (Corona Virus) की उत्पत्ति जिस चीन से हुई है, वहां मई के महीने की शुरूआत से अब तक केवल 111 मामलों की पुष्टि हुई है 27 अप्रैल से तीन मौतें हुई हैं, जिससे यह पता चलता है कि संक्रमण के दर में गिरावट आई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. शंघाई में बसे नोएडा के एक चिकित्सक डा. संजीव चौबे का कहना है .

चीन कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई जीतने के काफी करीब है जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का संयोजन कोरोनावायरस मरीजों की जान बचाने में सक्षम रही है.