अंध विश्वास: लोगो को मिला कोरोना का इलाज, उमड़ी हजारों की भीड़

बिहार में मधेपुरा के एक गांव में आक के पेड़ से कई दिनों से पानी टपक रहा था. गांव वालों ने इसे चमत्कार माना और पानी पीने के लिए भीड़ की शक्ल में उमड़ पड़े.

 

ताकि कोरोना बीमारी से बचाव हो सके. जब इस बात की खबर कृषि वैज्ञानिकों को लगी तो पेड़ से गिर रहे पानी की वजह तलाशी गई, जो बेहद चौंकाने वाली थी.

मधेपुरा के कोल्हाय पट्टी, डुमरिया और रघुनाथपुर सीमा पर स्थित एक पेड़ से पानी टपक रहा है. इस पानी को लोग कोरोना का इलाज मान रहे हैं. इस पानी को पीने के लिए कोरोना के कारण लॉकडाउन के बावजूद दूर-दूर से सैकड़ों लोग आ रहे हैं.

कोरोना की वजह से जारी लॉकडाउन के बावजूद सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाती कई महिलाओं की भीड़ इस पेड़ के नीचे दिखी.

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस पौधे के बारे में बताना शुरू किया और यहां लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी लेकिन जिस पानी को लोग अमृत मान रहे हैं असल में वो जहर की तरह खतरनाक है.

बीते कुछ दिनों से यहां का यही नजारा है. इस आक के पेड़ को लोग देवीय पेड़ मान रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि जो इससे टपकते पानी को पीएगा, उसे कोरोना नहीं होगा. लोग इसकी एक बूंद पाने को बैचेन हैं.

इस पौधे की जानकारी जब जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन को लगी तो वे कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बी.के. मंडल के साथ वहां पहुंचे. उन्होंने बताया कि आक के पेड़ में कीड़े लगे होने के कारण यह पानी टपक रहा है.कोरोना से बचाव के लिए लोग अपने-अपने तरीके अपना रहे हैं तो कहीं अंधविश्वास भी जमकर अपना असर दिखा रहा है.

बिहार के एक गांव में आक के पेड़ से पानी टपका तो उसे पीने के लिए लॉकडाउन की धज्जियां उड़ गई. बाद में जब वैज्ञानिकों ने इस पानी को जांचा तो वह जहर की तरह खतरनाक निकला.

यह पानी लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है.

जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में तेज़ी से उभरकर 2019-20 वुहान कोरोना वायरस प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है। हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा।