निर्भया के दोषियों को डेथ वारंट जारी करने की सुनवाई को पटियाला हाउस न्यायालय ने टाल दिया है. अब इस मुद्दे में अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी.
न्यायालय जैसे ही इस
मुद्दे के दोषियों को लेकर ब्लैक वारंट यानी
मृत्यु के पैगाम जारी करेगा वैसे ही ये आरोपी फांसी पर लटका दिए जाएंगे
.
निर्भया केस में ब्लैक वारंट जारी होते ही आजादी के बाद हिंदुस्तान में फांसी पाने वाले ये 58वें, 59वें, 60वें व 61वें दोषी होंगे. आखिरी बार फांसी 1993 के बम धमाके में दोषी याकूब मेमन को 2015 में दी गई थी. कारागार प्रशासन के सुझाव व तैयारियों को देखकर न्यायालय फांसी की तारीख व वक्त मुकर्रर करेगी जिसे आम भाषा में ब्लैक वारंट बोला जाता है.
ब्लैक वारंट जारी होते ही कारागार प्रशासन जल्लाद के बंदोवस्त में जुट जाएगी. बता दें कि कसाब, अफजल गुरू व याकूब मेमन को फांसी किसी पेशेवर जल्लाद ने नहीं, बल्कि कारागार के कर्मचारी ने दी थी.
एक तख्त पर दो दोषियों को दी जा सकती है फांसी
तिहाड़ में जो फांसी घर है उसके तख्त की लंबाई करीब दस फीट है, जिसके ऊपर दो दोषियों को सरलता से खड़ा किया जा सकता है. इस तख्ते के ऊपर लोहे की रॉड पर दो दोषियों के लिए फंदे लगाने होंगे. तख्त के नीचे भी लोहे की रॉड होती है, जिससे तख्त खुलता व बंद होता है. इस रॉड का कनेक्शन तख्त के साइड में लगे लिवर से होता है. लिवर खींचते ही नीचे की रॉड हट जाती है व तख्त के दोनों सिरे नीचे की तरफ खुल जाते हैं, जिससे तख्त पर खड़ा दोषी के पैर नीचे झूल जाते हैं. हालांकि कारागार प्रशासन का बोलना है कि वह दोषियों को एक-एक कर फांसी देंगे.
दोषियों के वजन से तैयार होते हैं फंदे
जेल अधिकारियों के मुताबिक, दोषियों के वजन के हिसाब से फंदे की रस्सी की लंबाई तय होती है
. तख्त के नीचे की गहराई करीब 15 फीट है, ताकि फंदे पर लटकने के बाद झूलते पैर का फासला हो
. कम वजन वाले दोषी को लटकाने के लिए रस्सी की लंबाई ज्यादा रखी जाती है, जबकि भारी वजन वाले के लिए रस्सी की लंबाई कम रखी जाती है
. सूत्रों का
बोलना है कि अफजल की फांसी के ट्रायल के दौरान दो बार रस्सी टूट गई थी
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वसीयत व आखिरी मुलाकात
फांसी दिए जाने से पहले दोषी अगर वसीयत तैयार करना चाहता है व अपने सम्बन्धी से मिलने की ख्वाहिश करता है तो उसे इस बात की इजाजत दी जाती है. वसीयत तैयार करने के दौरान मजिस्ट्रेट को कारागार में बुलाया जाता है. फांसी के दिन दोषी को नहाने के बाद पहनने के लिए नए कपड़े दिए जाते हैं.
दोषी को तैयार करने के बाद मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में दोषी को सेल से फांसी के तख्ते पर ले जाया जाता है. इस दौरान उसके चेहरे को कपड़े से ढक दिया जाता है ताकि वह आसपास चल रही गतिविधि को नहीं दे सके. फांसी के तख्ते तक ले जाने के दौरान मृत्यु को सामने देखकर दोषी चल नहीं पाता है. ऐसी स्थिति में उसके साथ चल रहे पुलिसकर्मी उसे सहारा देकर ले जाते हैं. कारागार मैन्युअल के अनुसार, इस दौरान एक डॉक्टर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, जेलर, डिप्टी जेलर व करीब 12 पुलिसकर्मी उपस्थित रहते हैं.