कर्नाटक में सामने आए ब्लैक फंगस के मामले, बढ़ी सरकार की चिंता , जानिए अब क्या होगा आगे…

डॉक्टरों के अनुसार, म्यूकोर्मिकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है, ज्यादातर उन COVID-19 रोगियों में पाया जा है जो पहले से डायबटिक हैं. वहीं IGIMS के नेत्र विभाग के प्रमुख डॉ. विभूति ने बताया कि ब्लैक फंगस का असर आंखों पर भी हो सकता है. फंगस से संक्रमिक लोगों के चेहरे भी काले पड़ जब जाते हैं.

उन्होंना बताया कि जब यब संक्रमण आंखों को पकड़ता हैं तो मरीज की आंखों की पुतली गिर जाती है. मरीजों की आंखों में रेडनेस आ जाती है. उन्होंने कहा किये सभी लक्षण ब्लैक फंगस के ही हैं, लेकिन जब तक पूरी तरह से फंगस की जांच नहीं हो जाती तब तक किसी के बारे में कंफर्म नहीं किया जा सकता है. कोरोना से स्वस्थ होने के बाद मरीज ब्लैक फंगस के शिकार होते हैं.

सुधाकर ने कहा कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड के अधिक उपयोग करने से ज्यादातर डायबिटिक पेशेंट में पोस्ट-कोविड जटिलताओं के रूप में ब्लैक फंगस इंफेक्शन को देखा जा रहा है.

कर्नाटक और महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुईं है. सुधाकर ने दावा किया कि इस संक्रमण से निजात पाने का एक ही दवा एकमात्र दवा एम्फोटेरिसिन बी है. वहीं राज्य सरकार ने एंटी-फंगल दवा खरीदने का आदेश दिया है.

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस से संक्रमित हो रहे लोगों की सूचना मिलने के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से एम्फोटेरिसिन बी की 25,000 (खुराक) की मांग रखी है.

कोरोना संकट के बीच म्यूकोर माइकोसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black fungus) ने राज्यों की चिंता और बढ़ा दी है. पिछले कुछ दिनों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, यूपी जैसे कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं. अब कर्नाटक सरकार ने नए वायरस को देखते हुए केंद्र से एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) की 25,000 खुराक की आपूर्ति करने के लिए कहा है.