बीजेपी के इस नेता ने अयोध्या को बनाया था जन अंदोलन, लगे विध्वंस के आरोप

अयोध्या आंदोलन के सहारे पॉलिटिक्स  बीजेपी को नयी धार देने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने उच्चतम न्यायालय के  निर्णय के एक दिन पहले ही 92वां जन्मदिन मनाया.

अयोध्या आंदोलन को पॉलिटिक्स की धुरी बनाकर महज पांच वर्ष में बीजेपी को लोकसभा में दो सांसदों से 86 सांसदों की पार्टी बनाने वाले आडवाणी इसकी पास परिणति के गवाह बने.

आडवाणी पर लगा था विवादित ढांचे के ध्वंस का आरोप

जनसंघ की स्थापना के समय से ही जुड़े  बीजेपी के निर्माणकर्ता मेम्बर आडवाणी पर विवादित ढांचे के ध्वंस की साजिश रचने का आरोप भी लगा  इस मुद्दे में सीबीआइ ने उनके विरूद्ध न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल किया.

अपनी रथयात्रा के जरिए जन-जन तक पहुंचाया मुद्दा

विश्व हिंदू परिषद समेत संघ परिवार भले ही अयोध्या के लिए साधु-संतों और अन्य लोगों को जोड़ने में जुटा रहा हो, लेकिन आडवाणी ने अपनी रथयात्रा के सहारे इस मामले को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया. 1990 में गुजरात के सोमनाथ से प्रारम्भ हुई उनकी रथयात्रा को बिहार में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने रोक दिया. लेकिन बीजेपी 1991 के चुनाव में 120 सीटें जीतने में पास रही.

1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय आडवाणी खुद मंच पर मौजूद थे, इसी कारण सीबीआइ ने आपराधिक साजिश में उन्हें आरोपित बनाया. बाबरी मस्जिद विध्वंस की निंदा करते हुए भी आडवाणी ने कभी राम मंदिर निर्माण के संकल्प को पीछे नहीं छूटने दिया, बल्कि इसे बाकायदा बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का भाग बना दिया  1996 में बीजेपी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई.

अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम पद के लिए किया आगे

भाजपा के वास्तविक संगठनकर्ता होने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी जानते थे कि उनकी कट्टर हिंदूवादी छवि के कारण पार्टी को संसद में सहयोगी जुटाना सरल नहीं होगा  पार्टी ने नरमपंथी अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम के चेहरे के रूप में आगे किया. लेकिन राजग सरकार में हमेशा नंबर दो पर रहे  बाद में उपप्रधानमंत्री भी बने. एक मंत्री के रूप में उनकी छवि कुशल  कठोर प्रशासक की रही  उन्हें लौह पुरुष तक बोला गया.
आडवाणी को देना पड़ा पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा

2004 के लोकसभा चुनाव में लगे झटके  अटल बिहारी वाजपेयी की बिगड़ती स्वास्थ्य को देखते हुए आडवाणी ने अपनी छवि को सुधारने की प्रयास की. लेकिन, पाक में जाकर जिन्ना को सेकुलर बताना संघ को नागवार गुजरा  आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देना पड़ा. उनके विरूद्ध पार्टी के अंदर ही विरोध फूट पड़ा था. इसके बावजूद वह पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत रखने  राजग के मुख्य सहयोगियों को एकजुट रखने में पास रहे. पर यह हकीकत है कि जब भी बीजेपी की ज़िंदगी यात्रा का वर्णन होगा तो आडवाणी शीर्ष पुरुषों में शामिल रहेंगे.