इस सीट पर जीत की हैट्रिक की तैयारी में जुटी भाजपा, गठबंधन के दम पर सपा ने भी बिछाई बिसात

लोकसभा चुनावों की घोषणा होने के साथ ही सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंचने लगी है। शाहजहांपुर में लगातार दो बार जीत के बाद हैट्रिक की तैयारी में जुटी भाजपा को रोकने की चुनौती सपा और बसपा के सामने है। गठबंधन के कारण सपा प्रत्याशी को जिताने के लिए कांग्रेस दम लगा रही है। अभी तक टिकट को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के बावजूद बसपा जीत का खाता खोलने के लिए आजमाइश कर रही है।

आंकड़ों की बात करें तो अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा नौ बार जीत हासिल की है। जनता पार्टी, हिंदू महासभा ने एक बार, जनता दल ने दो बार, सपा ने दो बार जीत दर्ज की है। 2014 में पहली बार भाजपा ने खाता खोला। कृष्णाराज सांसद और बाद में केंद्रीय राज्यमंत्री भी बनीं। 2019 में भी भाजपा के प्रत्याशी अरुण कुमार सागर ने जीत हासिल की। 2024 में भाजपा ने एक बार फिर से अरुण सागर पर भरोसा जताते हुए प्रत्याशी बनाया है।

वहीं, सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर राजेश कश्यप को प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा ने अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है कि कुछ दिनों में बसपा अपना प्रत्याशी घोषित कर देगी। टिकट के लिए आठ आवेदन बसपा को मिले हैं। इनमें शालिनी सिंह, पूर्व प्रत्याशी अमर चंद जौहर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बहादुरलाल आजाद, महेश गौतम, पूर्व जिलाध्यक्ष उदयवीर प्रमुख नाम हैं। बसपा को अब तक शाहजहांपुर में लोकसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई है। 2014 और 2019 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर जरूर रहा था। ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा भी 2024 के चुनाव में कड़ी टक्कर देगी।

पिछले तीन चुनावों का मतदान प्रतिशत
2009 के लोकसभा चुनाव में केवल 48.84 प्रतिशत ही मतदान।
2014 के लोकसभा चुनाव में 57. 04 प्रतिशत मतदान हुआ।
2019 के आम चुनाव में कुल 55.85 प्रतिशत मतदान हुआ।

राममंदिर और विकास कार्यों के दावे के साथ हर वर्ग पर भाजपा का दावा
ठाकुर, ब्राह्मण और वैश्य बिरादरी के वोट के साथ ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटों पर भाजपा की नजर है। भाजपा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, आयुष्मान योजना, आवास योजना आदि के जरिये मुस्लिम मतदाताओं को भी रिझाने का प्रयास कर रही है। वर्तमान सांसद अरुण सागर जाटव बिरादरी से आते हैं।