मध्य प्रदेश : आदिवासियों को साधने में जुटी भाजपा, कर रही ये काम

मध्य प्रदेश में भाजपा के मिशन 2023 में तेंदू पत्ता की बड़ी भूमिका है। महज बीड़ी बनाने के काम आने वाले इस पत्ते के सहारे भाजपा आदिवासी समुदाय तक अपनी व्यापक पहुंच बनाने में जुटी है।

बीते एक साल से भाजपा अपने चुनावी लक्ष्य 51 फीसदी वोट को हासिल करने के लिए आदिवासी समुदाय को पूरी तरह से अपने साथ लाने की कोशिश में जुटी है। इस मिशन के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह बड़े कार्यक्रम कर चुके हैं।

मध्य प्रदेश में 230 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। भाजपा ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 16 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी और वह महज कुछ सीटों के अंतर से बहुमत से दूर रह गई थी, जबकि इसके पहले उसके पास इस वर्ग की 31 सीटें हुआ करती थीं। लोकसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए छह सीटें आरक्षित हैं। अब भाजपा ने अगले चुनाव के लिए सीटों के बजाय हर विधानसभा क्षेत्र में 51 फीसद वोट का मिशन बनाया है, ताकि सभी सीटों पर सफलता हासिल की जा सके।

गैरतलब है कि प्रदेश में लगभग 22 फीसद आदिवासी आबादी है। इसमें 43 विभिन्न जनजातीय समुदाय है। सबसे बड़ा समुदाय भील भिलाला का है, जिसकी आबादी लगभग साठ लाख है। इसके बाद गौंड़ आदिवासी लगभग 50 लाख हैं। कोल की संख्या 11.5 लाख, कोरकू की 6.3 लाख और सहरिया की लगभग 6.1 लाख आबादी है।

राज्य में भाजपा ने वैसे तो सभी सामाजिक समीकरण साधे हुए हैं, लेकिन उसका खास जोर आदिवासी समुदाय पर है। उसके इस अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक शामिल हैं। गौरतलब है कि शाह ने बीते साल सितंबर में उज्जवला योजना के तहत पांच लाखवां रसोई गैस का सिलेंडर मध्यप्रदेश में एक कार्यक्रम में एक आदिवासी महिला को दिया था। इसके साथ ही छिंदवाड़ा के विश्वविद्यालय का नाम 1857 के स्वतंत्रता सेनानी आदिवासी राजा शंकर शाह व रघुनाथ शाह के नाम पर किया था।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में जन जाति गौरव दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। उन्होंने भोपाल में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम भी आदिवासी रानी कमलापति के नाम पर किया। अब गृहमंत्री अमित शाह ने आम आदिवासी तक पहुंच बनाने के लिए तेंदू पत्ता को अभियान का हिस्सा बनाया है। तेंदूपत्ता आदिवासियों की आजीविका का बड़ा स्त्रोत है। राज्य के लगभग 18 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों में अधिकांश आदिवासी हैं। इनको संग्रहण के बोनस के चैक खुद अमित शाह ने दिए।