चीन और ताइवान के बीच हुआ ये, अमेरिका करने जा रहा…

अपने चीनी समकक्ष के साथ एक बैठक के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री ने बीजिंग से प्रशांत क्षेत्र में तनाव कम करने का आह्वान किया. ताइवान पर हाल ही में अमेरिकी बयानों की चीन ने तीखी आलोचना की है.अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और बीजिंग को ताइवान के खिलाफ किसी भी एकतरफा कार्रवाई से परहेज करने की सलाह दी.

इटली की राजधानी रोम में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हुई, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग नहीं लिया. दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई? अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से कहा कि ताइवान के प्रति अमेरिका की “वन चाइना” नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस के मुताबिक ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका “पूर्व और दक्षिण चीन सागर और ताइवान में हमारे मूल्यों और हितों का उल्लंघन करने वाली किसी भी कार्रवाई का विरोध करता है।

जिसमें शिनजियांग, तिब्बत और हांग कांग में मानवाधिकार शामिल हैं” उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका “उत्तर कोरिया, म्यांमार, ईरान, अफगानिस्तान और पर्यावरण संकट जैसे मुद्दों पर मिलकर काम कर सकते हैं” चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ब्लिंकेन के साथ बातचीत के दौरान वांग यी ने अमेरिका से चीन के साथ विभिन्न मुद्दों पर अपने “गलत दृष्टिकोण” को ठीक करने का आग्रह किया.

चीनी विदेश मंत्री ने कथित तौर पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से कहा है कि ताइवान में स्वतंत्रता-समर्थक बलों के लिए अमेरिकी समर्थन प्रशांत क्षेत्र में तनाव का मुख्य कारण है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान में कहा था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवान के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता “चट्टान की तरह ठोस” है. चीन उनके बयान से नाराज था और चीनी विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया कि अमेरिका ताइवान जलडमरूमध्य में “अपनी ताकत का परीक्षण” करने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि ताइवान को संयुक्त राष्ट्र जैसे और अधिक अंतरराष्ट्रीय निकायों में शामिल होने की जरूरत है. चीन ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “चीन इसका कड़ा विरोध करता है” अमेरिका और चीन के बीच एक लंबे समय से चले आ रहे समझौते के तहत, वॉशिंगटन “एक-चीन” नीति का अनुसरण कर रहा है.

इस राजनीतिक स्थिति के मुताबिक अमेरिका ताइवान की राजधानी ताइपे को आधिकारिक रूप से मान्यता देने के बजाय बीजिंग के साथ सभी मुद्दों को निपटाने के लिए बाध्य है. ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, लेकिन चीन इसे अपने देश का हिस्सा मानता है.