नागरिकता संशोधित कानून (CAA) के विरूद्ध विरोध को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने जुमे की नमाज से पहले राष्ट्रीय राजधानी के सीलमपुर (Seelampur) इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के डीसीपी प्रकाश सूर्या ने बोला कि किसी भी प्रकार के घटना से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस पुरी मुश्तैदी के साथ तैनात है। उन्होंने बताया कि सीलमपुर, जाफराबाद (Zafarabad), वेलकम व मुस्तफाबाद क्षेत्रों में पर्याप्त पुलिस बल लगाए गए हैं। साथ ही अर्धसैनिक बलों की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं। इन इलाकों में पुलिस फ्लैग मार्च कर रही है। प्रकाश सूर्या ने बोला कि वो लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सीलमपुर इलाके में ड्रोन से निगरानी की जा रही है। हर छोटी-बड़ी मूवमेंट पर पुलिस की पैनी नजर है।
बता दें कि बीते दिनों सीलमपुर में नागरिकता संधोन काननून के विरूद्ध (सीएए) लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया था। यहां पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव व कई वाहनों में तोड़फोड़ कर थी। बाद में पुलिस ने भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। हालांकि, शाम होते-होते पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में ले लिया व ट्रैफिक भी चालू कर दिया था। इस दौरान कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया था। प्रदर्शन व हिंसा के चलते सीलमपुर से जाफराबाद सड़क को बंद कर दिया गया था।
दो एफआईआर दर्ज की गईवहीं, पुलिस ने गुरुवार को सीलमपुर हिंसा के मुद्दे में दो एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले दिल्ली की एक न्यायालय ने 21 दिसंबर को सीलमपुर में शुक्रवार को संशोधित नागरिकता कानून के विरूद्ध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मुद्दे में अरैस्ट किए गए 11 लोगों को शनिवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इस मुद्दे से जुड़े एक एडवोकेट ने यह जानकारी दी थी।
देश के हर प्रदेश में हो रहा है इस कानून का विरोध
संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण देश में शरण लेने आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन व बौद्ध धर्म के उन लोगों को हिंदुस्तान की नागरिकता दी जाएगी, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 तक हिंदुस्तान में प्रवेश कर लिया था। ऐसे सभी लोग हिंदुस्तान की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। इस कानून के विरोधियों का बोलना है कि इसमें सिर्फ गैर मुस्लिमों को ही नागरिकता देने की बात कही गई है, इसलिए यह कानून धार्मिक भेदभाव वाला है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।